दिव्य प्रेम सेवा मिशन की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में भाग लेने आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शब्दों में आम आदमी का दर्द साफ झलका। उन्होंने अपने संबोधन में खास तौर पर विपरीत परिस्थितियों में ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों के समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को कई बार सराहा। भारी बारिश के बीच अपने स्वागत के लिए आए लोगों को भी प्रणाम किया।
करीब 40 मिनट देरी से दिव्य प्रेम सेवा मिशन परिसर में पहुंचे राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में उत्तराखंड और भारत के कई उत्कृष्ट पहलुओं को छुआ। अपने आगमन की ड्यूटी पर लगाए गए पुलिसकर्मियों के दर्द को विशेष रूप से उल्लेखित करते हुए कहा कि भारी बारिश के बीच पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं, ये विपरीत परिस्थितियों में भी राष्ट्र निर्माण में योगदान करने वाले सच्चे सिपाही हैं।
ये लोग जल्द अपनी ड्यूटी समाप्त कर लौट जाएं, इसलिए महामहिम ने कार्यक्रम को छोटा करने की बात कहीं। मीडियाकर्मी और स्वागत के लिए पहुंचे बच्चों तथा अन्य लोगों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की तो पूरा पंडाल तालियों से गूंजता रहा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आना हर किसी के लिए गौरव की बात है, क्योकि यहां गंगा का उद्गम है। हिमालय की गोद में बसा हुआ है। यहां हरकी पैड़ी पर होने वाली गंगा की आरती पूरी दुनिया को आकर्षित करती हैं।
साथ ही कोविंद ने देवभूमि को उच्च बताते हुए कहा कि रुड़की में स्थित आईआईटी कभी देश का पहला इंजीनियरिंग कालेज हुआ करता था। देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी, एफआरआई, मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी यहां के विशिष्ट स्थान हैं।