बागेश्वर : इस खबर से अंदाजा लगाजा जा सकता है कि उत्तराखंड में अफसरशाही बेलगाम हो चली है…और शासन-प्रशासन और विभागों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. उत्तराखंड में अफसरों की जुबां पर अमर्यादित भाषा अब अक्सर सुनाई देने लगी है वो भी अपने उच्च अधिकारी के लिए. राज्य में अधिकारी जिलाधिकारी आपस में भिड़ रहे हैं वो भी लोगों की समस्याओं को लेकर..ऐसे में कहा जा सकता है कि जब अधिकारी और जिलाधिकारी ही आपस में भिड़ रहे हैं तो आम जनता की समस्याओं का क्या होगा औऱ जनता पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.
डीएफओ औऱ जिलाधिकारी आपस में भिड़े
जी हां एक ऐसा ही मामला बागेश्वर से सामने आया है जहां किसी फरियादी की समस्या को लेकर डीएफओ औऱ जिलाधिकारी आपस में भिड़ गए. डीएफओ ने तो जिलाधिकारी को ये तक कह डाला कि डीएम साहिबा जितनी आपकी उम्र नही है उससे अधिक मेरी नौकरी हो गयी.
जनता मिलन कार्यक्रम का आयोजन
दरअसल बागेश्वर में प्रत्येक सोमवार को जनता मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. वहीं आज मंगलवार को भी ये कार्यक्रम आयोजित किया गया था जहाँ पर एक बुज़ुर्ग मथुरा दत्त भट्ट अपनी समस्या लेकर ज़िलाधिकारी रंजना राजगुरु के पास पहुँचा था जो कि वन विभाग से सम्बंधित था।
बुजुर्ग शिकायत बताते रो पड़े, डीएम ने ड़ीएफओ को नालायक़ कहते हुए लताड़ा
बुजुर्ग मथुरा दत्त भट्ट की शिकायत थी कि डीएफओ भुवन सिंह शाही ने पहले पेड़ काटने की अनुमति दी और जब पेड़ काटा जा रहा था तब अनुमति निरस्त कर दी। इतना ही नहीं विभाग का कर्मचारी उन्हें धमका रहा है। इस पीड़ा को बताते-बताते वह रोने लगेजिस पर डीएम ने वन विभाग पर लापरवाही से काम करने की बात कही और फटकार लगाई. डीएम ने इस बहुत ही निराशाजनक बताया। जिस पर ड़ीएफओ को नालायक़ कहते हुए लताड़ लगाई।
डीएम साहिबा जितनी आपकी उम्र नही है उससे अधिक मेरी नौकरी हो गयी है-डीएफओ
वहीं इसका जवाब देते हुए डीएफओ ने सीधे तौर अभद्रत भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि आपको जो उखाड़ना है उखाड़ लें। हम अपने तरीक़े से काम कर रहें है। जिसके बाद डीएम रंजना राजगुरु ने डीएफओ को हद में रहकर बात करने की बात कही और बाहर जाने को कहा. वहीं डीएफओ यहीं चुप नहीं रहे. उन्होंने आगे कहा कि डीएम साहिबा जितनी आपकी उम्र नही है उससे अधिक मेरी नौकरी हो गयी है। उसके बाद एसडीएम ने डीएफओ को समझाते हुये मीटिंग से बाहर किया। जिसके चलते डीएम को जनता मिलन कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा।
त्रिवेंद्र सरकार में अधिकारी हुए बेलगाम
डीएफओ और जिलाधिकारी के व्यवहरा से साफ कहा जा सकता है कि त्रिवेंद्र सरकार में अधिकारी बेलगाम हो गए हैं जो कि अपने उच्चअधिकारियों की सुनने को तैयार नहीं है. और तो और उन्हें जनता की समस्याओं से भी कोई लेना देना नहीं है. एक ओर जनता मिलन कार्यक्रम में जहां लोग अपनी समस्याओ को लेकर आए तो वहीं कार्यक्रम हॉल में डीएफओ और जिलाधिकारी को भिड़ते देखा जिससे उनके मन में भी अफसर शाही के लिए कई सवाल उठ रहे होंगे की जब अधिकारी-जिलाधिकारी ही आपस में बच्चों की तरह लड़ रहे हैं तो उनकी समस्याओं को कौन सुनेगा?