टिहरी(चंद्रबल्लभ फोंदणी)- जिन बुनियादी सहूलियतों के आभाव से निजात पाने के लिए पहाड़ों ने अलग उत्तराखंड राज्य की ललकार लगाई वो सहूलियते सत्रह साल बाद भी पहाड़ों के गांवों तक नहीं पहुंच पाई हैं। सहूलियतों के आभाव में गांव खाली होते गए और आज ये आलम है कि उत्तराखंड के तीन सौ से ज्यादा गांव आबादी के लिए तरस रहे हैं।
टिहरी जिले के कीर्तिनगर विकास खंड में डागर पट्टी के ग्रामीण मोटर मार्ग को लेकर आज भी आंदोलित हैं। सालों से सड़क के लिए तरसते इस इलाके के भी कई परिवार मैदानी इलाकों में बस चुके हैं।
कहा जाता है कि, वक्त पर सड़क पहुंच जाती तो शायद इलाके से इतना पलायन न होता। यहां सड़क की मांग बेहद पुरानी है। बताया जाता है कि पिपलीधार मोटर मार्ग उत्तरप्रदेश के जमाने में मंजूर हुई थी लेकिन आज तक अपने अंजाम तक नहीं पहुंची। इस सड़क को कोठार, रैतासी, चौरी और गोदी गांव तक पहुंचना था। लेकिन सड़क आधे रस्तें में ही आधी-अधूरी हालत में रुकी हुई है।
लिहाजा सड़क के लिए ग्रामीणों ने अब आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया है। बीते रोज से इलाकाई लोग क्रमिक अनशन के जारिए सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं। आज क्रमिक अनशन का दूसरा दिन है। अनशन कर रहे ग्रामीणों की माने तो अगर सरकार पहाड़ी गांवों की इन जरूरी जरूरतों को वक्त पर समझ जाती तो आज पलायन रोकने के लिए सरकार को किसी खर्चीले आयोग को बनाने की दरकार नहीं होती।
बहरहाल पहले दिन सड़क के लिए अनशन करने वालों में लोकेंद्र नेगी, दीवान सिंह, सूर्यपाल राणा और गुरु प्रसाद फोंदणी समेत कई आक्रोशित ग्रामीण शामिल रहे। अनशनकारियों की माने तो अगर सरकार ने ग्रामीणों का इंम्तिहान लेने की कोशिश की तो 25 मार्च से आंदोलन को और तेज किया जाएगा।