हल्द्वानी- यात्रियों की सुऱक्षा को लेकर परिवहन विभाग उबासिया लेते दिख रहा है ,,ऐसा प्रतीत होता है जैसे परिवहन विभाग को चिंता ही नही है लोगो की जान की। आलम ये है कि फस्टेड सुविधा सबके होश उड़ा दे। बस चाहे कोई भी हो हाईटेक या सामान्य बात साफ हो गई है कि, उत्तराखंड रोड़वेज को मुसाफिरों की जान से कोई मतलब नहीं है।
जी हां हम ये इसलिए कह रहे हैं कि रोड़वेज की एक लापरवाही से राज्य के पूर्व मंत्री भी लहूलुहान हो गए। बसंत विहार, हल्द्वानी निवासी स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष ललित पंत बीती रात देहरादून से हल्द्वानी लौट रहे थे। वह रात साढ़े 10 बजे हाइटेक रोडवेज बस (यूके07पीए 1533) में हल्द्वानी के लिए सवार हुए। सड़कों की शानदार सेहत पर रोड़वेज के पायलेट के हुनर से पूर्व मंत्री ललित पंत का सिर बस की छत से टकरा गया। जिससे वे लहुलुहान हो गए।
साथ में सफर कर रहे मुसाफिरों ने प्राथमिक उपचार के वास्ते फर्स्ट एड बॉक्स मांगा तो उसे खोलते ही सबके होश उड़ गए। प्राथमिक उपचार के लिए बस में फर्स्टएड बॉक्स के नाम पर सिर्फ 10 साल पुरानी एक्सपाइरी डेट की बीटाडीन ट्यूब मिली।
परिवहन निगम की गंभीर लापरवाही को देखते हुए दर्जा धारी पूर्व मंत्री ने हल्द्वानी कोतवाली में परिवहन निगम के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। बहरहाल इस वाकिए से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में परिवहन निगम कितना काबिल है और किस मुस्तैदी से मुसाफिरों की सेवा में संलग्न हैं।
सवाल ये है कि जब राज्य परिवहन निगम की हाइटेक बस में चोट लग सकती है और फस्टएड के नाम पर 10 साल पुरानी दवा दी जा सकती है। तो उन खटारा बसों में मुसाफिर का क्या हाल होता होगा जिनकी बाड़ी ही सफर के दौरान कई तरह की आवाजें निकालती हैं।