देहरादून : उत्तराखंड राज्य को बने बेशक 19 साल पूरे हो गए हैं लेकिन इन 19 सालों में उत्तराखंड स्थाई राजधानी का मसला नहीं सुलझा पाया है. उत्तराखंड राज्य आंदोलन के समय बेशक रजयआंदोलनकारियों ने गैरसैंण में राजधानी की नीव रखने के साथ गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का सपना संजोया था जो उत्तराखंड की सियाासत का केंद्र बिंदु में इन 19 सालों में रहा,लेकिन लगता है त्रिवेंद्र सरकार गैरसैंण को भूलाने का काम कर रही है. ऐसा हम क्यों कह रहे है देखिए ये रिपोर्ट।
9 नवम्बर को उत्तराखंड ने 19 वर्ष पूरे कर लिए हैं लेकिन ये उत्तराखंड राज्य का दुर्भाग्य ही है इन 19 सालों में उत्तराखंड राज्य अपनी स्थाई राजधानी नहीं बना पाया है. बेशक गैरसैंण को समय-समय पर स्थाई राजधानी बनाने की मांग उठती रहती है लेकिन कांग्रेस की पूर्व सरकार ने उस मांग को दबाने के लिए गैरसैंण में विधानसभा भवन का निर्माण करा कर कुछ हद तक राजधानी की मांग दबी रहने का काम किया. यहां तक कि कांग्रेस सरकार ने गैरसैंण में लगातार 2014 से लेकर 2016 तक हर साल एक विधानसभा का सत्र आयोजित किया.
क्या त्रिवेंद्र सरकार गैरसैंण को भूल रही है?
हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते 3 सत्र गैरसैंण में आयोजित कराने का रिकार्ड बनाया लेकिन त्रिवेंद्र सरकार साल में 1 सत्र गैरसैंण में कराए जाने की परम्परा से पीछे हटती हुई नजर आ रही है. त्रिवेंद्र सरकार ने भी 2017 और 18 में गैरसैंण में सत्र कराया लेकिन 2019 खत्म होने को है और अभी तक सरकार ने गैरसैंण में सत्र नहीं कराया है जिसको लेकर ये बाते उठने लगी है कि त्रिवेंद्र सरकार गैरसैंण को भूल रही है। त्रिवेंद्र सरकार की इस बेरूखी को भांपते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल सरकार से मांग कर रहे है कि दिसम्बर महीने में जो सत्र होना है सरकार उसे गैरसैंण में कराएं।
विधान सभा अध्यक्ष ने की गैरसैंण में सत्र कराने की मांग
उत्तराखंड विधानसभा का सत्र अगले महीने होना है. जिसको लेकर ऐसा माना जा रहा है कि सत्र 4 दिसम्बर से शुरू हो जाएगा लेकिन अभी तक ये तय नहीं हुआ है कि सत्र होगा कहा. ऐसे में कयास लगाएं जा रहे हैं कि इस बार का सत्र भी देहरादून में अयोजित किया जाएगा। विधान सभा अध्यक्ष गैरसैंण में सत्र कराएं जाने की मांग जरूर कर रहे हैं लेकिन उनकी मांग में दम नजर नहीं आ रहा है तभी तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना कि विधान सभा अध्यक्ष उन्हें आदेश कर दें वह गैरसैंण में सत्र करा देंगे।
सरकार और विधानसभा अध्यक्ष के बीच तालमेल की कमी
ग़ैरसैंण में सत्र करने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष मुख्यमंत्री से अनुरोध कर रहे हैं और मुख्यमंत्री विधान सभा अध्यक्ष से गैरसैंण में सत्र कराने को लेकर आदेश जारी करने के लिए कह रहे हैं, ऐसे में समझा जा सकता है कि सरकार और विधानसभा अध्यक्ष के बीच ग़ैरसैंण में सत्र कराने को लेकर तालमेल की कमी है क्योंकि ऐसा भी पहली बार हो रहा है जब सत्र कराने को लेकर मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष एक दूसरे के आदेशों का इंतजार कर रहे है।
कुल मिलाकर देखें तो इस वर्ष विधानसभा का अंतिम सत्र दिसम्बर में होना है और जिस तरह से बयान आ रहे हैं उसे लगता नहीं है कि दिसम्बर में विधान सभा का सत्र गैरसैंण में आयोजित होगा. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार की मंशा पर गैरसैंण को लेकर सवाल उठना लाजमी है कि आखिर सरकार कि ऐसे कौन सी दिक्कते है कि सरकार गैरसैंण में सत्र कराने के सिलसिले को इस साल खाली रखना चाहती है ।