देहरादून। सिखों के पवित्र तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के कपाट आगामी 25 मई को खुलेंगे। इसके बाद तीन महीने तक श्रद्धालु यहां दर्शन के लिये आ सकते हैं। हर साल यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। पिछले साल 2017 में एक लाख 29 हजार 900 सिख यात्रियों ने हेमकुंड साहिब यात्रा की थी।
सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह की तपस्थली हेमकुंड साहिब के कपाट मई महीने के दौरान ही खुलते हैं। पिछली बार 24 मई को कपाट खुले थे। ये तीर्थस्थल 6 महीनों तक बर्फ में ढका रहता है।
गौर हो कि चमोली में स्थित हेमकुंड साहिब भारत के सिखों का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यह हिमालय में 4632 मीटर (15,200 फुट) की ऊंचाई पर एक बर्फ़ीली झील के किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है। इन सात पहाड़ों पर निशान साहिब झूलते हैं। यहां तक गोविन्दघाट से केवल पैदल चढ़ाई के द्वारा ही पहुंचा जा सकता है।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, पहले यहां एक मंदिर था जिसका निर्माण भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने करवाया था। सिखों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह ने यहां पूजा अर्चना की थी। बाद में इसे गुरुद्वारा घोषित कर दिया गया। इस दर्शनीय तीर्थ में चारों ओर से बर्फ की ऊंची चोटियां हैं। जिनका प्रतिबिम्ब विशालकाय झील में अत्यन्त मनोरम लगता है। इसी झील में हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत श्रृंखलाओं से पानी आता है। एक छोटी जलधारा इस झील से निकलती है जिसे हिमगंगा कहते हैं।
झील के किनारे स्थित लक्ष्मण मंदिर भी अत्यन्त दर्शनीय है। अत्याधिक ऊंचाई पर होने के कारण वर्ष में लगभग 6 महीने यहां झील बर्फ से जमी रहती है।