देहरादून- यह बात सच है कि बच्चे के उज्जवल भविष्य और उसको उसकी मंजिल तक पहुंचने में माता-पिता, शिक्षक का अहम रोल होता है. तो दूसरी ओर स्कूल को मंदिर का दर्जा दिया जाता है. क्योंकि बच्चा स्कूल जाकर ही अपने जीवन में हर चीज का ज्ञान ले पाते हैं और सही राह पकड़कर आगे बढ़ते हैं. लेकिन मंदिर कहलाने वाला स्कूल ही बच्चों और उनके अभिभावकों को गुमराह करने का काम करे वो भी मात्र अपने फायदे के लिए तो बच्चे का भविष्य कैसा होगा जरा सोचिए.
जी हां देहरादून में ऐसा ही कुछ हुआ है. दरअसल देहरादून का नामी व सबसे बड़ा स्कूल का प्रबंधन इन दिनों एनसीईआरटी की बुक लागू होने के बाद अभिभावकों और बच्चों को गुमराह करने का काम कर रहा है. वो भी मात्र अपने फायदे के लिए. या यूं कहे की सरकार की ओर से लागू एनसीआरटी की सस्ती किताबें बच्चों द्वारा खरीदना स्कूल प्रबंधन को भा नहीं रहा.
हालांकि इसके बारे में बोलने में प्रत्यक्ष रुप से कोई तैयार नहीं हैं इसीलिए हम स्कूल के नाम का खुलासा नहीं कर रहे हैं. लेकिन आपके सामने तथ्य रखकर आपको इस बारे में आवगत करवा रहे हैं. खैर जो भी है लेकिन साफ तौर पर सरकार की खिल्ली जरुर उड़ाई जा रही है.
जानामाना नामी स्कूल का प्रबंधन बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर एक पत्र बांटें जा रहे हैं और एनसीईआरटी की किताबों की खामिया गिनवाई जा रही है. साथ ही एनसीईआरटी की किताबों के सख्त विरोध में उतरा है.
लेटर में लिखी हैं ये-ये बातें, आप भी पढ़ें-
- ये किताबें छात्रों की क्षमता का मूल्यांकन नहीं कर पाएगा.
2.इसमें ये भी लिखा है कि छात्र अंर्तराष्ट्रीय चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएंगे.
3.छात्रों को एनसीईआरटी की किताबें पढ़ने से प्रतिस्पर्धा परिक्षाओं की तैयारी करने में भी कठिनाई होगी.
4. एनसीईआरटी की किताबें पढ़ने से होगी बच्चों की नींव कमजोर.
औऱ भी कई बिंदू हैं जो स्कूल प्रबंधन पत्र में लिखकर अभिभावकों को बांट रहा है और गुमराह कर रहा है. या यूं कहे की सरकार के आदेशों की, सरकार के फैसले की खिल्लिया उड़ा रहा है.