देहरादून- उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों से भी मंहगी सरकारी गाड़ी में घूम रहे हैं। जिसके बाद उनपर अवमानना का मामला सामने आया है। मामले में उत्तराखंड शासन के परिवहन विभाग द्वारा जारी शासनादेश में उत्तराखंड राज्य के विशिष्ट एवं अति विशिष्ट लोगों के लिए सरकारी वाहनों का विभाजन किया गया था।
अधिकतम 15 लाख रुपए तक की गाड़ी रखने का आदेश
आपको बता दें मुख्यमंत्री एवं कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, पुलिस महानिदेशक व वन विभाग के मुखिया सहित प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी अधिकतम 15 लाख रुपए तक की गाड़ी ही रख सकते हैं।
वन विभाग के मुखिया जयराम घूम रहे 20 लाख की महंगी इनोवा लग्जरी कार में
लेकिन इस शासनादेश को ठेंगा दिखाते हुए वन विभाग के मुखिया जयराम 20 लाख रुपए से महंगी इनोवा लग्जरी कार में घूम रहे हैं। जिसके बाद उनपर खुलेआम मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रीगणों का अपमान कर अवमानना का मामला सामने आया है।
शासन के इस शासनादेश का किया गया उल्लंघन
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार वन प्रमुख ने उत्तराखंड जायका परियोजना के तहत मानकों के विपरीत लग्जरी कार रखकर उत्तराखंड शासन के इस शासनादेश का उल्लंघन किया गया है।जानकारी के अनुसार उत्तराखंड राज्य के कई विभागों में भी महंगी गाड़ियों को अधिकारी इस्तेमाल मे ले रहे हैं। जो शासनादेश का खुला माखौल उड़ा रहा है।
एक वाहन का नियम लागू है
उत्तराखंड सरकार के इस शासनादेश के अनुसार एक अधिकारी- एक वाहन का नियम लागू है। लेकिन शासन में लगभग प्रत्येक आईएएस अधिकारियों के पास तीन-तीन वाहन रखकर नियमों का दुरुपयोग किया जा रहा है। अब ऐसे में जीरो टॉरलेंस का राग अलापने वाले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री इन अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से महंगी गाड़ी इस्तेमाल करने करने वाले वन विभाग के मुखिया जयराज वही अधिकारी हैं, जिन्होंने कई नियमों का हवाला देते हुए अपने वन विभाग के DFO पद के समकक्ष अधिकारीयों के वेतन को कम करने के आदेश पारित किए हैं।
विभाग में इस आदेश को अमल में लाने के लिए काफी समय से माथापच्ची भी चल रही हैं। हालांकि उधर इस आदेश के खिलाफ DFO पद के समकक्ष कई अधिकारी कोर्ट की शरण भी ले चुके हैं। जिसका मामला फिलहाल विचाराधीन चल रहा है।