देहरादूून : सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं खुद किस कदर बिमार है इसका अंदाजा इस तस्वीर को देखकर लगाया जा सकता है जो की इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. सरकारें आती है जाती है, गरीबों की हित की बातें और बड़े-बड़े दावे करती है…लेकिन कितने दावें सच साबित होते हैं और कितनों का लाभ गरीबों को आम जनता को मिलता है…उसका अंदाजा ये तस्वीर और छोटी सी बच्ची का दिल ही जानता होगा…जिसे मजबूर होना पड़ा 2 घंटे तक ड्रिप बोतल पकड़ने को…खुद बड़ी-बड़ी गाड़ियों में धूमने औऱ महलों में रहने वाले नेताओं को नीचे देखने की फुर्सत ही कहां होती है.
दिल पसीज जाता है औऱ गुस्सा भी आता है
दिल पसीच जाता है एसी तस्वीरें देखकर औऱ गुस्सा आता है उन नेताओं को देखकरजो सूट-बूट पहनकर पुलिस गार्ड के साथ शान से कार से उतरते हैं और जनता के सामने हाथ जोड़ते हैं. कि हां हम आपके हित में काम कर रहे हैं…और जनता सच मान लेती है.
तस्वीर सोशल मीडिया पर हो रही वायरल
जी हां इन दिनों सोशल मीडिया पर एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है जो की औरंगाबाद के घाटी सरकारी अस्पताल की बताई जा रही है….जिसमें एक छोटी बच्ची ड्रिप स्टैंड बनी हुई है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो छोटी बच्ची के पिता उसके बगल में लेटे हैं जो बिमार हैं…उन्हें ड्रिप चढ़ाना भी जरूरी था लेकिन सरकारी अस्पतालों की और सरकार के दावें की पोल तब खुली जब मरीज को ड्रिप चढ़ाने के लिए स्टैंड नहीं मिला और मरीज की छोटी सी बेटी खुद स्टैंड बन बोतल पकड़कर खड़ी हो गयी.
ड्रिप चढ़ाने के लिए नहीं था स्टैंड
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार औरंगाबाद के एकनाथ गवली को 5 मई को घाटी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। ऑपरेशन के बाद जब उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया गया तो वहां ड्रिप के लिए स्टैंड नहीं था। तो डॉक्टर्स ने उनकी 7 साल की बच्ची को बॉटल पड़ा दी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिता की जिंदगी के लिए छोटी मासूम बच्ची करीब 2 घंटे ड्रिप की बोतल पकड़े रही…ये आलम किसी को नजर नहीं आया.
1200 बेडों का अस्पताल है
वहीं जानकारी मिली है कि मराठवाड़ा के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल 1200 बेडों का अस्पताल है जहां औरंगाबाद सहित आसपास के 8 जिलों के मरीज ईलाज के लिए आते हैं।
अस्पताल के डीन का बयान-डॉक्टर स्टैंड लेने के लिए गया था
वहीं जब ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई औऱ खबरों की सुर्खियां बनी तो अस्पताल के डीन ने मामले की जांच करवाई। डीन डॉ. कानन येलिकर का कहना है कि तस्वीर वायरल होने के बाद पूरे मामले की जांच करवाई गई, तो सामने आया कि जिस वक्त डॉक्टर स्टैंड लेने के लिए गया था, उसी दौरान एक एनजीओ से जुड़े लोगों ने ये तस्वीर खींच ली.