देहरादून- भूगर्भ के जानकार बार-बार हिमालय के बदलते मिजाज के बारे में चेताते रहे हैं। हिमालय की अंदरूनी सेहत की नब्ज टटोलकर सरकारों और समाज को विकास के मॉडल के प्रति आगाह करते रहे हैं। बावजूद इसके सरकारी विकास अपनी राह पर चल रहा है और हिमालय अपने अंदाज में बर्ताव कर रहा है। नतीजा किसी से छुपा नहीं है भूस्खलन की बढ़ती वारदातें सरकारी विकास के मॉडल की धज्जियां उड़ा रही हैं।
खैर ये अलग खबर है इस खबर के भीतर भी एक और खबर है कि, सूबे में कुदरती आपदाओं के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए आपदा प्रबंधन में बेरोजगारों के लिए रोजगार की भारी संभावना हैं। उत्तराखंड में एसडीआरएफ की सिर्फ चार कंपनियां काम कर रही हैं। जबकि 200 और कर्मचारियों की भर्ती का प्रस्ताव सरकार के पास है।
माना जा रहा है कि इन दो सौ पदों पर कभी भी सरकार भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। वैसे भी आपदा कभी बताकर नहीं आती और कुदरत हमारी गलतियों को माफ नहीं करती। लिहाजा आपदा के वक्त राहत और बचाव के काम सलीके से हो सकें इसके लिए सूबे की सरकार अपनी एसडीआरएफ को और मजबूत बना सकती है।