रुड़की : जुकाम और खांसी से पीड़ित युवक की इलाज के दौरान मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन ने युवक का अंतिम संस्कार इलेक्ट्राॅनिक शवदाह गृह में काराने की सलाह दी। इसके बाद परिजन शव को हरिद्वार लेकर गए। पिता बेटे के शव को खडखड़ी और कनखल श्मशान घाट पर ले गए। लेकिन, स्वयंसेवकों ने अंतिम संस्कार कराने से इनकार कर दिया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद भी वह तैयार नहीं हुए। दिनभर एक घाट से दूसरे घाट भटकते-भटकते जब वो थक गए, तो वो वापस लौट गए।
बताया जा रहा है कि रुड़की निवासी एक युवक को बुखार और खांसी की शिकायत होने पर सिविल अस्पताल रुड़की में भर्ती कराया गया था। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। परिजनों के अनुसार अस्पताल प्रशासन ने उन्हें शव देने से मना कर दिया और कोरोना से मौत होने की आशंका जताते हुए इलेक्ट्रिक शवदाह घर में अंतिम संस्कार कराने की बात कह कर शव हरिद्वार भेज दिया।
युवक के पिता के साथ दो कर्मचारी अंतिम यात्रा वाहन से शव को लेकर कनखल श्माशान घाट पहुंचे। वहां उन्होंने इलेक्ट्रिक शवदाह घर के बारे में जानकारी ली। वहां मौजूद चैकीदार और अन्य कर्मकांडियों ने उन्हें खडखड़ी श्मशान घाट भेज दिया। जब वो खडखड़ी पहुंचे तो वहां के स्वयंसेवक और कर्मकांडी डर गए और अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। मजबूरी में पिता को शव वापस लेजाना पड़ा।