रुड़की : अन्नदाता के बाद अब ज्ञानदाता भी भुखमरी की कगार पर आन पड़े हैं. जी हां ऐसा ही एक मामला रुड़की के लालकुर्ती स्थित नेहरू पराइमरी जूनियर हाई स्कूल एन्ड शिल्प कला विद्यालय में देखने को मिला…जहाँ पर विद्यालय में खंडर बने कमरों में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. इस विद्यालय में ज्ञान बांटने वली यानी गरीब बच्चों को पढ़ाने वाली प्रबन्धक गीता चौहान व अध्यापिकाओं का कहना है की हमारा विद्यालय समाज कल्याण विभाग से अनुदानित है लेकिन पिछले चार वर्षों से किसी कारणवश समाज कल्याण विभाग ने विद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की तनख्वाह पर रोक लगा रखी है. जिससे सभी अध्यापक एवं कर्मचारी भुखमरी के द्वार पर आ खड़े हैं.
वहीं पर तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने दो टूक कहा कि यदि शीघ्र हमें तनख्वाह न मिली तो हमें परिवार सहित आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार का नारा है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन विद्यालय में फीस जमा न होने कारण बेटी को पढ़ाई छोड़नी पड रही है. उन्होंने ये भी कहा कि दुकानदार ने घरेलू सामान देना बंद कर दिया और साहूकार हमारे घर पर कब्जा करने को तैयार है क्योंकि कई वर्षों से हमने उधार लिया पैसा नही दिया है.