ऐसी फेयरनेस क्रीम जिसमे स्टेरॉयड और एफडीसी मिला हो और जो दावा करे आपको गोरा बनने का वो बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं मिलेगी। ऐसे उत्पादों पर निगरानी रखने के लिये स्वास्थ्य मंत्रालय नोटिफिकेशन जारी करने वाला है। इसके लिये नियमों में बदलाव कर ऐसी स्टेरॉय़ड और एफडीसी वाली फेयरनेस क्रीमों को शिड्यूल ड्रग एच श्रेणी में लाया जायेगा। दरअसल ऐसी क्रीमों का हानिकारक असर भी त्वचा पर पड़ता है। लिहाजा इन पर नियमित निगरानी की जरूरत है जिसकी वकालत ड्रमोटोलॉजिस्ट एसोसिएशन कर चुका है । ऐसी क्रीमों के बिक्री के बारे मे एसोसिएशन स्वास्थ्य मंत्रालय से शिकायत भी कर चुका है। ताजा अध्ययनों से भी पता चल रहा है कि बिना डॉक्टरी सलाह के इस्तेमाल की जाने वाली ऐसी गोरेपन क्रीमे त्वचा पर हानिकारक असर डाल रही है।
स्टेरॉयड और एफडीसी जिस भी क्रीम मे होगी वो दवा की श्रेणी मे आयेगी लिहाजा बिना डॉक्टर की सलाह से नही बेची जा सकती। देखा जा रहा है कि बाजार मे ऐसी बहुत सारी क्रीम है जिन में स्टेरॉयड और एफडीसी हैं बावजूद इसके वे बाजार मे धड़ल्ले से बिक रही हैं। जबकि वे दवा की केटेगिरी मे आती है और बिना डाक्टरी सलाह के बेची नही जा सकती। लिहाजा ऐसोसिएशन ने ऐसी क्रीमों की बिक्री पर बैन लगाने की मांग की है। ऐसे मे माना जा रहा है कि नियमों मे कुछ बदलाव होगा और ये क्रीम मनमर्जी से बाजार मे नहीं बिकेंगी।