घनसाली, हर्षमणी उनियाल- घनसाली सीट के चुनावी नतीजे कहीं 2002 के चनावी नतीजों की तरह भाजपा और कांग्रेस को न चौका दें। उस चुनाव में भी एनसीपी उम्मीदवार बलवीर सिंह नेगी ने कांग्रेस और भाजपा को धत्ता बताते हुए बाजी मारी थी।
दरअसल इस बार भाजपा के बागी प्रेम लाल त्रिकोटिया कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय दलों के लिए भारी मुसीबत साबित हो सकते हैं। उसकी वजह है प्रेमलाल त्रिकोटिया का पूर्व फौजी होना। पूर्व सैनिक होने के नाते जहां त्रिकोटिया को फौजी परिवारों और रिटायर्ड फौजियों का एकजुट समर्थन मिल रहा है। वहीं भाजपा के चाल-चरित्र बदलने से भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी देखी जा रही है।
त्रिकोटिया भी भाजपा के कार्यकर्ता रहे हैं और इस बार उन्होंने भी भाजपा से घनसील सीट पर दावेदारी की थी। लेकिन भाजपा ने पूर्व फौजी की दावेदारी को खारिज कर शक्ति लाल शाह को टिकट थमा दिया। जबकि कांग्रेस ने भाजपा के टिकट से 2012 के चुनाव जीत चुके भाजपा के बागी भीम लाल शाह को घनसाली के मैदान में उतारा है।
ऐसे में कांग्रेस का परंपरागत वोट पूर्व विधायक को कांग्रेसी नहीं मान रहा है जबकि भाजपा उम्मीदवार को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। लिहाजा दोनों दलों से नाराज और इलाकाई फौजी परिवारों का रुझान त्रिकोटिया के पक्ष को मजबूत बना सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि घनसाली के त्रिकोणीय मुकाबले को दिलचस्प बनाने वाले पूर्व सैनिक प्रेमलाल त्रिकोटिया कहीं 2002 के इतिहास को दोहराते हुए भाजपा और कांग्रेस को चौका न दें।