देहरादून: राजधानी देहरादून में सांपों का कब्जा हो गया है। खबर आपको थोड़ी चौंका सकती है, लेकिन है सौ फीसद सही। और तो और 108 से लेकर 100 नंबर और वन विभाग के इमरजेंसी नंबर पर प्रत्येक दिन लोग सांपों के आतंक से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाते सुनाई पड़ते हैं। इनमें से कई सांप इतने खतरनाक हैं कि एक डंक मारने से ही किसी भी मौत हो सकती है। वन विभाग की टीम भी आए दिन सांप पकड़ने के मिशन पर लगी रहती है। बावजूद इसके सांपों का कब्जा कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
108 पर आते हैं हर दिन कई फोन
दरअसल, राजधानी देहरादून में घरों प्रत्येक दिन कई फोन केवल इसलिए आते हैं कि उनके घर में सांप ने कुंडली मार ली है। सांप के आतंक से परेशान लोगों की मदद के लिए वनकर्मियों के भी पसीने छूट रहे हैं। कई सांपों को पकड़कर जंगलों में छोड़ा जा चुका है। सांप घुसने पहले एक सा दो काॅल ही 108 या दूसरे इमरजेंसी नंबर पर आती थी, लेकिन इन दिनों गर्मी बढ़ने के कारण फोन काॅल की संख्या में भारी इजाफा हो गया है।
फायर सीजन में बढ़ी सांपों की संख्या
फायर सीजन में जंगलों की आग से जूझ रहे उत्तराखंड वन विभाग के लिए सांपों से लोगों को निजात दिलाना भी एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। जगह-जगह घरों के आसपास सांप निकलने से वन विभाग को एक दिन में कई कॉल आ रही हैं। पिछले दो महीने में वन विभाग 300 से अधिक सांप रेस्क्यू कर चुका है। गर्मियां शुरू होते ही सांप चूहों या फिर ठंडक की तलाश में बिलों से बाहर निकलने शुरू हो जाते हैं। 108 के कंट्रोल का जिम्मा संभाल रहे सुपरवाईजर कमल का कहना है कि गर्मी के सीजन में आजकल अधिक सूचनाएं जंगली जानवरों और सांपो की आती हैं। जिसकी सूचना कंट्रोल रूम में बैठे वन विभाग के कर्मचारियों को दी जाती है। उसके बाद वन विभाग के कर्मचारी एक्शन में आ जाते हैं।
दुर्लभ प्रजाति के सांप मिले
देहरादून के चंद्रबनी, राजभवन, जाखन, कैनाल रोड़ से पिछले एक हप्ते में वन विभाग को दर्जनों कॉल आ चुकी हैं। अकेले राजभवन से मार्च से लेकर अब तक 16 कॉल वन विभाग को आ चुकी हैं। इनमें अधिकतर धामन, कोबरा जैसे सांप हैं। उत्तराखंड में करीब तीस से अधिक प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। इनमें भारत में पाए जाने वाले चार सबसे अधिक विषैले प्रजाति के सांपों में से तीन प्रजाति के सांप भी शामिल हैं। इस दौरान देहरादून में रेलवे कॉलोनी से कॉमन सेंड बोवा जैसा दुर्लभ सांप भी रेस्क्यू किया गया। बच्चे देने वाली प्रजाति का यह सांप उत्तराखंड में अभी तक रिकार्ड नहीं किया गया था। ऊषा कॉलोनी से बेहद कम दिखाई देने वाला कैट स्नैक सांप भी रेस्कयू किया गया।