एक ओर देश में घर-घर में शौचालय निर्माण की बात कही जा रही है, वहीं सतपुली महाविद्यालय में एक दशक बाद भी शौचालय की व्यवस्था नहीं हो सकी है। छात्र तो महाविद्यालय से करीब दो सौ मीटर दूर बाजार में स्थित सुलभ शौचालय में चले जाते हैं, लेकिन छात्राओं के लिए महाविद्यालय में शौचालय की व्यवस्था न होना बड़ी परेशानी है। अब जबकि पूरे देश में शौचालय निर्माण का मसला जोरों पर है, महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने भी शौचालय की मांग तेज कर दी है।
वर्ष 2006 में सतपुली कस्बे से लगे इंटर कॉलेज के तीन कक्षों में शुरू हुआ था सतपुली महाविद्यालय। इसे उच्च शिक्षा के साथ सरकारी मजाक ही कहा जाए कि कला, विज्ञान व वाणिज्य संकाय की स्वीकृति के साथ शुरू हुआ यह महाविद्यालय आज भी तीन कमरों में चल रहा है। नतीजा, महाविद्यालय में मात्र कला विषय की कक्षाएं ही संचालित हो रही हैं।
वर्तमान में महाविद्यालय में 385 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं व कुल छात्र संख्या में 60 फीसदी संख्या छात्राओं की है। शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मियों की बात करें तो महाविद्यालय में वर्तमान में आठ शिक्षक व सात शिक्षणेत्तर कर्मी कार्यरत हैं, जिनमें प्राचार्य के साथ ही चार शिक्षिका व प्रयोगशाला सहायक महिला हैं।
यह है महाविद्यालय की स्थिति
महाविद्यालय की दयनीय स्थिति का अंदाजा महज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि स्थापना के 11 वर्षों बाद आज भी इस महाविद्यालय में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं है। छात्र-छात्राएं छोड़िए, शिक्षक भी शौचालय की घोर कमी का दंश झेल रहे हैं। छात्र विद्यालय से करीब दो सौ मीटर दूर कस्बे में स्थित सुलभ शौचालय में पहुंचकर शौचालय का प्रयोग कर लेते हैं, लेकिन छात्राओं के साथ ही महाविद्यालय में तैनात महिला कर्मियों को शौचालय की कमी का खामियाजा भुगतना पड़ता है। महाविद्यालय प्रशासन की ओर से कई मर्तबा उच्चाधिकारियों को इस संबंध में सूचित किया गया, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
11 साल से महाविद्यालय संचालित है, लेकिन आज तक महाविद्यालय में शौचालय न होना गंभीर विषय है। उच्चाधिकारियों को इस संबंध में पत्र भेज कर समस्या से अवगत करा दिया गया है।
डॉ. रेनू नेगी, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, सतपुली
शौचालय निर्माण की मांग को लेकर उच्चाधिकारियों को ज्ञापन भेजा गया है। मांग पूर्ण न होने पर आंदोलन किया जाएगा।
सूरज चौहान, छात्र संघ अध्यक्ष, सतपुली महाविद्यालय