लक्सर : जीरो टॉलरेंस की सरकार के पीठ पीछे क्या खेल खेला जा रहा है शायद इसकी खबर सरकार को न हो लेकिन हरिद्वार जिले के लकसर विकासखंड के नैतवाला सैदाबाद में मनरेगा के तहत बने पुल में लाखों रुपयों का बंदरबांट करने का मामला सामने आया है. जी हां लाखों रुपयों की लागत से बना पुल मात्र 6 महीने में ही ढह गया…जिससे भ्रष्टाचार की साफ बू आ रही है.
जी हां ग्राम प्रधान द्वारा मनरेगा के तहत करीब 6 महीने पहले लोगों की आवाजाही के लिए पुल का निर्माण कराया था जिसके तैयार करने में लाखों रुपए की लागत आई थी। घटिया निर्माण सामग्री लगने के कारण यह पुल देखते ही देखते मात्र 6 महीने में ही धराशाही होकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
जान जोखिम में डालकर कर रहे रास्ता पार
पुल के टूटने से इस गांव का संपर्क मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है। संपर्क मार्ग बंद होने से यहां के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पुल के टूट जाने के कारण गांव वाले और छोटे-छोटे बच्चे जान जोखिम में डालकर रेलवे पुल से होकर गुजर रहे हैं। पुल से गुजरने वालों ग्रामीणों की एक छोटी सी चूक से कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन अभी तक गांव के टूटे पुल के लिए जनप्रतिनिधि से लेकर आला अधिकारियों ने अभी तक कोई सुध नहीं ली है।
अधिकारियों में जमकर हुई पैसों की बंदरबांट?
Yबड़ा सवाल है कि क्या मनरेगा के तहत बनाए गए इस पुल निर्माण में बेहद घटिया सामग्री का इस्तेमाल करके ग्राम प्रधान से लेकर विकासखंड के आला अधिकारियों ने जमकर पैसों का बंदरबांट किया? अचंभा तो तब हुआ जब देखा गया कि पुल निर्माण में किसी भी बोर्ड पर लागत मूल्य को नहीं दर्शाया गया है।
ऐसे में सवाल उठना भी लाजमी बनता है कि भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का डंका पीटने वाली सरकार के मुलाजिम ही घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल कर जनता से खिलवाड़ कर रहे हैं। बरहाल बड़ा सवाल यह है की पुल के निर्माण की आड़ में अधिकारियों ने जो लाखों रुपयों का बंदरबांट किया क्या उनकी जांच की जाएगी कराकर करेंगे दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही या फिर लिपा पोती में ही दब कर रह जाएगा यह मामला।