रुड़की(शुभांगी ठाकुर)– शहर में बढ़ते अतिक्रमण को देखकर पहले नगर निगम और प्रशासन ने दावा किया था कि रुड़की शहर की सूरत बिगाड़ने वाले अतिक्रमणकारियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
लिहाजा प्रशासन ने साप्ताहिक बंदी के दिन अतिक्रमण को चिह्नित किया। लेकिन जब हटाने की नौबत आई तो दुकानदारों ने ऐसे तेवर दिखाए कि प्रशासन को घुटनों के बल बैठने को मजबूर होना पड़ा।
हालांकि प्रशासन के पास पुलिस फोर्स थी बावजूद इसके प्रशासन अतिक्रमण पर गाज नहीं गिरा पाया। कुछ मीटर तक जरूर नजायज कब्जों पर बुल्डोर चला लेकिन उसके बाद दुकानदारों ने ऐसा विरोध जताया कि प्रशासन को दबे पांव लौट जाना पड़ा।
ऐसे मे सवाल उठता है कि प्रशासन के कमजोर इरादों से उन अतिक्रमणकारियों के हौसले और बुलंद नहीं होगें जिन्होंने जनता की सड़क को घेर कर निजी जागीर बना लिया है। सवाल ये भी है कि, अगर प्रशासन पूरे साजो-समान के बावजूद नजायज काम को नहीं रोक सकती तो कानून व्यवस्था कैसे कायम रहेगी?