ऋषिकेश में 14 महीने पहले दो मासूम बहनों की हत्या से तीर्थनगरी सहम उठा था, जिसमें छोटी बच्ची के साथ दुष्कर्म की पुष्टी हुई थी। जिसके बाद कल पोक्सो कोर्ट ने आरोपी को सजा-ए-मौत सुनाई. आरोपी पकड़ में नहीं आता अगर मासूम की मुट्ठी और बिस्तर पर आरोपित की दाढ़ी के बाल न छूटते। इन्हीं बालों ने हत्यारे परवान सिंह को सलाखों के पीछे पहुंचाया था। इसी तरह के ठोस सुबूतों के मद्देनजर अब न्यायालय ने हत्यारे को सजा-ए-मौत सुनाई।
अभियोजन पक्ष की तरफ से 14 गवाह पेश किए गए
पोक्सो की विशेष न्यायाधीश रमा पांडे की अदालत में मामले की सुनवाई चली। अभियोजन पक्ष की तरफ से 14 गवाह पेश किए गए। अदालत ने तीन रोज पहले सेवादार परवान सिंह को दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार दिया था। गुरुवार को अदालत ने उसे हत्या में सजा-ए-मौत और पोक्सो एक्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों ही अपराधों पर उस पर तीस-तीस हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। विशेष लोक अभियोजक भरत सिंह नेगी ने बताया कि अदालत ने इसे रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस माना।
बच्ची की मुट्ठी में फंसे दाढ़ी के बाल से पकड़ा गया आरोपी
श्यामपुर पुलिस चौकी क्षेत्र में दो सगी बहनों की गला घोंटकर हत्या को मामला सामने आने के बाद क्षेत्रवासी सन्न थे। पुलिस ने आसपास की सीसीटीवी फुटेज खंगाली, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। फारेंसिक टीम को बच्चों के बिस्तर पर और मौत के घाट उतारी गई बहनों में से छोटी वाली की मुट्ठी कुछ बाल मिले थे। इसी सबूत ने पुलिस को हत्यारे तक पहुंचाने में मदद की। बच्चियों की मां से जानकारी लेने के बाद पुलिस का शक यकीन में बदल गया और वह इसकी कड़ियां जोड़ती आगे बढ़ी। संदेह के आधार पर पुलिस ने सेवादार परवान सिंह को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया तो वह पहले भ्रमित करने का प्रयास करने लगा, लेकिन बाद में उसने सब कुछ उगल दिया। इस तरह आरोपित सलाखों के पीछे पहुंचा।
राज खुलने से पूर्व हमदर्द बना रहा हत्यारा
हादसे के कुछ देर बाद ताई के घर से कमरे पर आए बच्चियों के भाई ने परवान सिंह को इस बारे में सूचना दी तो वह हमदर्दी जताने लगा। उसने अपने मोबाइल से बच्चियों की मां को फोन लगाया, हालांकि उसका फोन स्विच आफ मिला। इसके बाद भी वह लगातार हमदर्दी जताता रहा।
सजा-ए-मौत का फैसला आने पर दोषी के चेहरे पर शिकन तो नहीं दिखी
सजा-ए-मौत का फैसला आने पर दोषी के चेहरे पर शिकन तो नहीं दिखी, लेकिन फैसले से पहले वह हाथ जोड़कर प्रार्थना करता दिखा। कोर्ट रूम से बाहर आने के बाद वह खुद को निर्दोष बताते हुए मामले की सीबीआइ जांच की मांग कर रहा था।
मुकदमा वापस लेने के लिए दिया था लालच, धमकियां भी दी
दरिंदे के हाथों मारी गईं बच्चियों की मां बताती है कि आरोपित की गिरफ्तारी के कुछ महीनों बाद उसे 20 लाख रुपये का लालच देकर मुकदमा वापस लेने को कहा गया। जब उसने मुकदमा वापस लेने से मना कर दिया तो उसे डराया धमकाया गया। लेकिन, उसकी एक ही इच्छा थी कि दोषी को कड़ी सजा मिले। इसलिए वह न तो लालच में फंसी और न ही धमकियों से डरी।
वहीं बच्ची की मां ने कहा कि वो यही चाहती थी की आरोपी को फांसी की सजा हो ताकि किसी मासूम के साथ फिर कभी ऐसा न हो.