नई दिल्ली: इन दिनों अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में रोजाना सुनवाई हो रही है। ‘रामलला विराजमान’ स्वयं एक पक्षकार हैं और उनकी तरफ से देश के वरिष्ठ वकील के. पराशरन कोर्ट में बहस कर रहे हैं। के. पराशरन इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के वक्त देश के अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं। उनकी उम्र 92 वर्षीय के. पराशरन की इच्छा है कि उनके सामने ही इस मामले की सुनवाई पूरी हो। के. पराशरन को हिन्दू कानूनों का विशेषज्ञ भी माना जाता है।
के. पराशरन अधिक उम्र होने के बावजूद बहुत मजबूती से रामलला का पक्ष सुप्रीमकोर्ट में रख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब राममंदिर निर्माण की बाधाएं जल्द से जल्द दूर हो जाएंगी और अयोध्या में राममंदिर का निर्माण शुरू हो सकेगा। के. पराशरन इस उम्र में भी वे कुछ नया करने की सोचते रहते हैं। जब भी उनमें कुछ नया करने की इच्छा होती है, तो वे राममंदिर के केस को पढ़ना शुरू कर देते हैं। नए तथ्य और तर्क खोजते रहते हैं। उन्होंने अपने तर्कों से वे कई बार कोर्ट और अन्य पक्षकारों को भी हैरत में डाल देते हैं।
रामजन्म भूमि की विश्वसनीयता पर उन्होंने कहा है कि क्या इसी तरह के सवाल अन्य धर्मों के प्रमुख लोगों के बारे में उठाये जा सकते हैं? रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में अनेक बार अयोध्या के भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में विवरण दिया गया है। पराशरन के इन तर्कों का दूसरे पक्ष के पास कोई जवाब नहीं था। के.पराशरन की 92 साल की उम्र को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक दिन उनसे कहा कि अगर वे चाहें तो बैठकर भी बहस कर सकते हैं। इस पर पराशरन ने कहा कि वे बहुत दयालु हैं, जो उन्हें बैठकर बहस करने की अनुमति दे रहे हैं। लेकिन, कोर्ट में खड़े होकर बहस करने की परंपरा है और उनकी चिंता इस परंपरा को लेकर है।