देहरादून: सांसद कोटे के टिकट प्रकरण में 35 परिचालकों की बर्खास्तगी व निलंबन के आदेश के बाद यूनियन का रोष थमता नजर नहीं आ रहा है. आदेश जारी होते ही बुधवार देर शाम से रोडवेज कर्मचारियों ने छह डिपो का काम ठप कर दिया है। रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने गुरुवार सुबह से उन सभी 13 डिपो में काम ठप करने का एलान किया है जहां परिचालकों को निकाला गया।
यूनियन प्रबंधन के फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट गई
दूसरी ओर उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन प्रबंधन के फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट चली गई है। कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि यूनियन द्वारा बुधवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है। सुनवाई गुरुवार को होगी। यदि कोई राहत नहीं मिली तो आधी रात से पूरे प्रदेश में बसों का संचालन बंद कर दिया जाएगा।
4200 टिकट बनने का मामला थमता नहीं दिख रहा
रोडवेज में टिकट मशीन में मुफ्त यात्र वाले विशेष श्रेणी के यात्रियों का सीरियल नंबर बदलने के बाद सांसद कोटे में करीब 4200 टिकट बनने का मामला थमता नहीं दिख रहा। दरअसल, रोडवेज ने 22 मार्च को बुजुर्गजन के सीरियल नंबर पर सांसदों कोटे का नंबर कर दिया और बुजुर्गजन को उससे अगला नंबर दे दिया गया। ज्यादातर परिचालक इससे अंजान थे और वह यात्रा में बुजुर्गजनों के टिकट का डाटा सांसदों के कोटे में चढ़ाते रहे। मामला पकड़ा जाने पर रोडवेज प्रबंधन ने शनिवार को संविदा व विशेष श्रेणी के 30 परिचालक बर्खास्त करने और पांच नियमित परिचालक सस्पेंड करने के आदेश दिए। विरोध में कर्मचारी संयुक्त परिषद व कर्मचारी यूनियन ने बसों का चक्का जाम व हड़ताल का एलान कर दिया था।
सिर्फ मानवीय चूक पर किसी की नौकरी छीनना गैर-कानूनी है-यूनियन
यूनियनों का कहना है कि सिर्फ मानवीय चूक पर किसी की नौकरी छीनना गैर-कानूनी है। मंगलवार को डिपो एजीएम ने बर्खास्ती के आदेश जारी कर दिए। ऐसे में परिषद ने रामनगर, अल्मोड़ा, लोहाघाट, हिल समेत छह डिपो में समूचा काम बंद कर दिया। इसके साथ ही गुरुवार सुबह से सभी डिपो व कार्यशालाओं में काम रोकने का एलान किया है।
महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने बताया कि कर्मचारी यूनियनों से बात कर उन्हें समझाने की कोशिश की जा रही है। बस संचालन ठप करना कोई विकल्प नहीं है।
मानवीय चूक की सजा परिचालकों को ही क्यों
संयुक्त परिषद के महामंत्री रामचंद्र रतूड़ी ने प्रबंधन से सवाल पूछा है कि मानवीय चूक को घोटाले का नाम देकर परिचालकों को ही क्यों बलि का बकरा बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब निगम मुख्यालय ने बुजुर्गजन कोटे का सीरियल नंबर टिकट मशीन में बदला तो परिचालकों को सूचित क्यों नहीं किया। पूरे मामले में कहीं पर भी आर्थिक हानि हुई ही नहीं। सांसद कोटे में भी मुफ्त यात्र है व बुजुर्गजन कोटे में भी। रतूड़ी ने कहा यह सिर्फ बदली तकनीक के कारण हुई मानवीय चूक है, क्योंकि सांसद के सीरियल नंबर पर परिचालक बुजुर्गजनों का मुफ्त टिकट चढ़ाते रहे। परिचालकों की ओर से हर दिन मशीन डिपो में जमा कराई जाती है। तब निगम के सॉफ्टवेयर, एजीएम या अन्य लोगों ने यह क्यों नहीं पकड़ा कि गलत नंबर पर फीडिंग हो रही। रतूड़ी बोले कि प्रबंधन केवल रिकवरी कर परिचालकों को दंड दे सकता था, लेकिन अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए परिचालकों को फंसा दिया।