
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी के मुताबिक आज सुबह जब वो अपने दफ्तर में रोज़ाना की तरह बैठे थे, तभी चेयरमैन ओर उनके साथी उनके दफ्तर में आकर हंगामा करने लगे। साथ ही साथ उनके साथ मार पीट में भी उतारू हो गए।
अधिशासी अधिकारी का कहना है कि वो जनता का पैसा यूं ही बर्बाद नही होने देंगे लिहाजा वो जिलाधिकारी से पिछले तीन सालों में किच्छा नगरपालिका मे हुए कामों की जांच के लिए एक पत्र भी लिखेंगे। अधिशासी अधिकारी ने कहा कि उनके साथ जो हुआ उसकी तहरीर उन्होंने पुलिस को सौंप दी है।
उधर दूसरी ओर नगर पालिका अध्यक्ष ने अधिशासी अधिकारी के आरोपों को सिरे से खारिज किया। जबकि पालिका परिषद के ईओ पर टेेंडर निरस्त करने के साथ-साथ बदसलूकी से पेश आने का इल्जाम लगाया। चेयरमैन का आरोप है कि ईओ ने ही उनके साथ मार-पीट की है जिसकी तहरीर उन्होने कोतवाली में दे दी है।
किच्छा पालिका के चेयरमैन महेंद्र चावला की माने तो वो हर जांच के लिए तैयार है। साथ उन्होंने कहा है कि अगर पालिका के मौजूद ईओ को नही हटाया गया तो वो क्षेत्रीय जनता के साथ धरने पर बैठ जायेगे जिसकी जिमेदारी प्रशासन की होगी।
उधर पुलिस पालिकाअध्यक्ष महेंद्र चावला और ईओ संजीव कुमार के बीच हुए विवाद के बारे में कुछ भी बोलने से बच रही है जबकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी तहरीर कोतवाली पुलिस को सौंप चुके हैं। बहरहाल माना जा रहा है कि, अधिशांसी अधिकारी के टेंडर निरस्त करने और अब तक हुए कामों के भौतिक सत्यापन की खामियों को उजागर करना ही इस विवाद का मूल विषय है। साथ ही जांच के लिए जिलाधिकारी को खत लिखने की बात भी पालिका अध्यक्ष को नागवार गुजर रही है।
सच क्या है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन जीरो टॉलरेंस के दौर में अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों और उनके शागिर्दों की धमकी देने का चलन राज्य के मिजाज के मुताबिक बेहद बुरा है। लिहाजा जरूरत है निष्पक्ष जांच की ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।