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टिहरी गढ़वाल : 19 वर्षीय युवती पर भालू का जानलेवा हमला, हालत गंभीर

Reporter Khabar Uttarakhand
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टिहरी गढ़वाल : घनसाली विधानसभा के ग्राम सभा कुंडी विनयखाल क्षेत्र के निवासी सूरत सिंह की 19 वर्षीय बेटी पर भालू ने जानलेवा हमला किया जिसके बाद युवती की स्थिति गंभीर बनी हुई है। घटना के दौरान युवती पशुवाड़ा के पास स्थित खेत में सब्जियां लेने गई थी तभी घात लगाए बैठे भालू ने युवती पर हमला कर दिया और युवती लहूलुहान कर दिया।

युवती की हालत गंभीर

भालू ने युवती के चेहरे और सिर पर हमला किया जिससे युवती के सिर गहरा घाव हुआ है और युवती की स्थिति नाजुक बनी हुई है। युवती को आधे रास्ते तक ग्रामीणों और उसके रिश्तेदारों द्वारा प्राइवेट गाड़ी से लाया गया वहां से 108 सेवा द्वारा घायल को सामुदायिक स्वाथ्यय केंद्र बेलेश्वर पहुंचाया गया जहां घायल युवती का डॉ राजकुमार और उनकी टीम इलाज कर रहे हैं। वहीं प्राथमिक उपचार के बाद युवती को हायर सेंटर रेफर किया गया.

वनक्षेत्रीय अधिकारी ने की 5000 की मदद

डीएफओ टिहरी गढ़वाल से फ़ोन पर हमारे संवाददाता हर्षमणि उनियाल ने बात कि तो डीएफओ ने पीड़िता की मदद की बात कही। वनक्षेत्रीय अधिकारी बलबीर प्रसाद बधानी ने वन दरोगा हरि प्रसाद नौटियाल के मार्फत 5000 हज़ार रुपये की धनराशि तत्काल रूप से बेलेश्वर सामुदायिक स्वाथ्यय केंद्र में घायल युवती के भाई बलदेव को दी गयी है। वन विभाग की ओर से अधिक मदद घायल के पिता के खाते में तुरंत ही ट्रांसफ़र की जाएगी।

खौफ में जी रहे ग्रामीण

घायल कुमारी मनीषा के चाचा केशर सिंह एवं भाई बलदेव सिंह का कहना है कि गाँव में जंगली जानवर खासकर भालू का डर ग्रामीणों के मन में बना हुआ है जिसके लिए विभाग को तुरंत आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। वहीं क्षेत्र पंचायत सदस्य अब्बल शर्मा ने सामुदायिक स्वाथ्यय केंद्र बेलेश्वर की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि करोड़ों रूपये केवल सर्विस के नाम पर इस अस्प्ताल में खर्च होने के बावजदू भी आज यह अस्पताल केवल रेफरल सेंटर ही बना हुआ है। आज भी इस अस्पताल की स्थिति दयनीय बनी हुई है।

डॉक्टर और स्पेशलिस्ट की कमी

ग्रामीणों का कहना है कि आज ही सामुदायिक स्वाथ्यय केंद्र बेलेश्वर में शाम के वक़्त दो केस आये और दोनों को ही हायर सेंटर भेजा गया जिसमे एक बाइक एक्सीडेंट और दूसरा भालू के हमले का मामला है। कहा कि इस अस्प्ताल में उपस्थित स्टाफ बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन डॉक्टरों की कमी और स्पेशलिस्ट की पूरी टीम मौजूद ना होने के चलते बस प्राथमिक उपचार तक ही व्यवस्था बनी हुई है।

लोगों का कहना है कि मीडिया भी लगातार गांव वालों की मांग को उठा रहा है लेकिन जिनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी का बोझ है वह कही नजर नहीं आते। देखने वाली बात यह होगी कि वन विभाग किस तरह लोगों को ऐसे होने वाले जंगली जानवरों से बचाने के लिए क्या रणनीति बनाता है जिससे लोगो को सुरक्षित किया जा सके।

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