देहरादून । संवाददाता- किशोर उपाध्याय जब से पीसीसी अध्यक्ष बने हैं तब से उनके निशाने पर पीडीएफ रही है। अभी हाल में ही मिशन 2017 कि फतह के लिए गढ़वाल की यात्रा से निकलने से पहले उन्होंने टाइम टीवी से खास बातचीत में पीडीएफ नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा था कि वे चुनाव से पहले अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ये वहीं किशोर उपाध्याय हैं जिनके स्वर अब बदले हुए हैं। पीडीएफ के जवाबी हमले और हाईकमान के दवाब के चलते किशोर के सुर अब बदले-बदले हैं।
गढ़वाल और कुमाऊं के दौरे से लौटने के बाद पीडीएफ पर हमले की धार कुंद पड़ गई है। अब किशोर कार्यकर्ताओ और पदाधिकारियों को उल्टा पीडीएफ के मुद्दे पर कुछ भी न बोलने की सलाह दे रहे हैं। वे कहते हैं कि पीडीएफ के मुद्दे पर अंतिम फैसला हाईकमान ही करेगा। असल में किशोर के सुर यूं ही नहीं बदले हैं। कांग्रेस में पर्दे के पीछे बहुत कुछ चल रहा
है। पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर पीडीएफ के अध्यक्ष मंत्री प्रसाद नैथानी यूं ही नहीं बिदके हैं। चुनाव से ऐन पहले मंत्री प्रसाद नैथानी ने भी साफ कर दिया है कि, किशोर यदि चुप नहीं हुए तो पीडीएफ सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। उन्होंने इस मामले की शिकायत प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी से करते हुए किशोर के इस्तिफे की मांग भी कर डाली है। उधर मुख्यमंत्री के यह कहने पर कि, पीडीएफ के मुद्दे पर हाईकमान ने सर्वाधिकार उन्हें सौंप रखा है के बाद से ही ये संकेत साफ हो गए थे कि पीसीसी अध्यक्ष सरकार और पीडीएफ के निशाने पर आ गए हैं। – राजनीति के गलियारों में ये चर्चा भी आम है कि पीडीएफ की नाराजगी और सरकार के तेवरों के चलते चुनाव से पहले प्रदेश प्रभारी के साथ-साथ पीसीसी अध्यक्ष का पद भी बदला जा सकता है तभी तो पीसीसी अध्यक्ष के तेवर बदले-बदले से हैं। हालात ये हैं कि पीडीइफ और सरकार को कई मौकों पर असहज करने वाले पीसीसी अध्यक्ष किशोर यह तक कहने लगे हैं कि, कांग्रेस के विकास के लिए यदि उनका हटना जरूरी है तो वे इसके लिए भी तैयार हैं। बावजूद इसके किशोर सरकार से रार लेने को तैयार बैठे रहते हैं। किशोर हैं कि सुधरने का नाम ही नहीं लेते है। वे मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री पर हमला रोकने संबंधी कोई बातचीत नहीं हुई है। मालूम हो कि कुछ दिनों पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेसियों से अनुरोध किया था कि, वे प्रधानमंत्री पर निजी हमले कुछ दिनों के लिए रोक दें। तमाम उतार चढ़ाव के बाद किशोर हैं कि मानते नहीं। सरकार व संगठन के बीच मची रार का खामियाजा किशोर को कहीं उठाना न पड़ जाय। जिस प्रकार से किशोर मुख्यमंत्री व पीडीएफ पर बयान बाजी करते आए हैं उससे हाईकमान की नाराजगी भी तय है।