नैनीताल- दिल्लगी जरूरी नहीं कि हाड मांस की देह से हो। दिल्लगी किसी से भी हो सकती है। किसान को मिट्टी से, जवान को सरहद से, छात्र को किताब से दिल्लगी होती है। कुदरत को समझने वालों को पानी, हवा, हरियाली से दिल्लगी होती है।
ये दिल्लगी उन्हें दीवाना बना देती है और उनका ये दीवानापन पहले किसी को अजीब सा लगता है लेकिन जब नतीजे आने लगते हैं तो दीवानों की दीवानगी का फिर जमाना ही दीवाना हो जाता है।
कुछ ऐसी ही है हल्द्वानी की रहने वाली तनुजा जोशी की दीवानगी। गुलमोहर से बेपनाह मुहब्बत करने वाली तनुजा की गुलमोहर के लिए इतनी दीवानगी है कि हल्द्वानी शहर में उनके लगाए तकरबीन तीन सौ से ज्यादा गुलमोहर के पौधे आज भरे-पूरे दरख्तों में तब्दील हो चके हैं।
हल्द्वानी की हरियाली में तनुजा के गुलमोहर अपनी छटा बिखेर रहे हैं। आज तनुजा को हल्द्वानी में गुलमोहर वाली तनुजा जोशी के नाम से पहचाना जाता है। इतना ही नहीं आज गुलमोहर के लिए तनुजा की दीवानगी को देखकर कई लोग गुलमोहर के बेहद करीब आ गए हैं। इतने करीब की अब वे तनुजा के साथ है और गुलमोहर के लिए कदम से कदम मिला रहे हैं।
लिहाजा इस बार तनुजा हल्द्वानी में अपने जैसे गुलमोहर के दीवानों के साथ 17 जून को गुलमोहर दिवस मनाने का फैसला किया है। इस दिन तनुजा अपनी टीम के साथ नैनीताल रोड के दोनों तरफ 200 गुलमोहर के पौधे लगायेंगी।
तनुजा की माने तो साल 2018 में हल्द्वानी में राष्ट्रीय खेलो का आयोजन होना है। मेहमानों के सामने हल्द्वानी हरा भरा दिखाई दे उसके गुलमोहर खिलाड़ियों का खैरमकदम करें इसके लिए उन्होने ये जिम्मा उठाया है।
अब तो शहर के और लोग भी तनुजा की राह पर उनके साथ निकल पड़े हैं। आज तनुजा के साथ पूरा काफिला है। उम्मीद है कि अगर हर साल गुलमोहर दिवस मनता रहा तो आने वाले वक्त में हल्द्वानी शहर गरमियों में गुलमोहर के रंग में रंगा दिखाई देगा।
तनुजा के हौसले और शौक को khabaruttarakhand.com का सलाम।