मो. यासीन : उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात बड़ते ही नदियां नाले उफान पर चढ़ जाते हैं और लोग रास्ता पार करने के लिए खुद ही पुल बनाने को मजबूर हो जाते हैं। उफनती नदी पर सरकार की अनदेखी के बाद ग्रामीणों के खुद पुल बनाते हुए एक वीडियो सामने आया है।
पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील में उमचिया गांव में वर्ष 2018 की बरसात में कर्तो और सुमदुम गांव का संपर्क पुल बह गया था। इसके बाद से ही वहां के लोग बगैर पुल के आवाजाही कर रहे थे। इस वर्ष की बरसात में एक बार फिर नाले नदियां उफान पर हैं जिससे ग्रामीणों का इन्हें पार करना मुश्किल हो रहा है। लगभग 800 लोगों के गांव में कई लोगों को रोजमर्रा के कार्यों से इस नदी को पार करना पड़ता है लेकिन पुल नहीं होने के कारण इनकी जान को हर वक्त खतरा बना रहता है। ग्रामीण पुल निर्माण की शिकायत कई बार जिलाधिकारी को भेज चुके हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार ने इसकी सुध नहीं ली है। आज ग्रामीणों ने सरकार की अनदेखी से त्रस्त होकर खुद ही लकड़ी की बल्लियों और तख्तों से पुल का निर्माण शुरू कर दिया।
उनका कहना है कि तीजम गांव को जोड़ने वाले इस मार्ग से स्कूली बच्चों, बीमार और वृद्ध ग्रामीणों को हर रोज आर पार जाना पड़ता है जिससे उनकी जिंदगी को खतरा हो जाता है। बताया गया है कि यहां बना अस्थाई पुल बीती नौ जुलाई को बह गया था और इसके बाद से ही इसे बनाने का काम ग्रामीणों ने मजबूरी में शुरू किया था। इस क्षेत्र में कोई संचार की व्यवस्था भी नहीं है । ये अस्थाई पुल उमचिया, कर्तो, गम, पंगा, सुमदुम गांव को आपस में जोड़ता है। यहाँ 800 से 1000 की आबादी रहती है जो इस मौत के अस्थाई पुल पर निर्भर है।