देहरादून– कभी जब राज्य यूपी का हिस्सा हुआ करता था उस दौर में राज्य की पहाड़ियों से शराब के खिलाफ आवाज उठी थी नशा नहीं रोजगार दो। जबकि अब सालों बाद मैदान से उठी है शराब बंद करो। हर कोई मानता है कि शराब सामाजिक रूप से बुरी चीज है। गांधी जी ने कहा भी था शराब आत्मा और शरीर दोनों को खोखला करती है। बावजूद इसके इस देश मे शराब का धंधा बदस्तूर जारी है । हालांकि कई राज्य ऐसे हैं जहां शराब बंदी लागू हैं। बिहार में अभी शराब बंद हुई है तो उसी तर्ज पर देवभूमि उत्तराखण्ड में भी शराब बंदी की मांग उठी है।
देहरादून में ग्रामीण विकास समिति ने शराब बंदी के लिए एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। जिसमें कहा गया कि जब सरकार भी शराब को नैतिक रूप से बुरा मानती है तो फिर इसे बंद क्यों नहीं करती। जबकि शराब का चलन देवभूमि उत्तराखंड के नौजवानों को खोखला कर रहा है। इसलिये सरकार को बिहार सरकार की तरह राज्य में पूर्ण शराबबंदी करनी चाहिए। समिति ने प्रेस वार्ता के जरिए चेतावनी दी है कि सरकार उनकी बात को पहले की तरह नजरअंदाज न करे। इस बार समिति पहले से बड़ा जनान्दोलन शराब के खिलाफ शुरू करेगी।
बहरहाल देखा जाए तो समिति की मांग नैतिक और सामाजिक रूप से सही है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि शराब बंद होगी कैसे ? क्योंकि देखा गया है कि जिन राज्यों में शराब बंद है, वहां शराब तस्करों का सिक्का चल रहा है और वहां अवैध शराब का धंधा जोरों पर है। इतना ही नहीं अक्सर देखा जाता है कि ऐसे राज्यों में जहरीली शराब कई लोगों की जान ले लेती है। वैसे भी देवभूमि उत्तराखंड के कई इलाके ड्राई हैं बावजूद इसके वहां तस्करी जारी हैं और शराब के शौकीनों को धड़ल्ले से मिलती है। यानि कोई कमजोर कड़ी है जिसे पहले मजबूत करना होगा।