देहरादून : केंद्र की ओर से पेट्रोल और डीजल पर बेसिक एक्साइज ड्यूटी में रियायत भले ही दी गई हो, लेकिन राज्य सरकार अपने स्तर पर दोनों पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में और छूट देने की चुनौती से जूझने को तैयार नहीं है। पिछली सरकार के दौरान लगे दो फीसद सेस खत्म करने और वैट की दर को उत्तरप्रदेश की तर्ज पर कम किए जाने के कदम को फिलहाल पर्याप्त माना जा रहा है।
राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने और इसके करों को एकरूप करने को तैयार है, बशर्ते इस दिशा में केंद्र सरकार पहल करे।
केंद्र सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल महंगा होने के बाद पेट्रोल व डीजल पर बेसिक एक्साइज ड्यूटी में दो रुपये प्रति लीटर की छूट दी है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अब राज्यों को पत्र लिखकर पेट्रोल व डीजल पर वैट में कमी लाने की अपेक्षा की है। केंद्र सरकार इस संबंध में राज्य को पहले भी एक पत्र भेजकर पेट्रोल व डीजल पर वैट में कमी लाने का सुझाव दे चुकी है।
राज्य में अभी पेट्रोल पर 21 फीसद वैट लागू है। डीजल पर वैट की दर 17.48 फीसद या 9.41 रुपये प्रति लीटर जो भी अधिक हो, लागू है। राज्य सरकार पेट्रोल पर फ्लोर प्राइस खत्म कर चुकी है, लेकिन डीजल पर उत्तरप्रदेश के समान व्यवस्था के तौर पर इसे लागू करने के आदेश बीती 22 सितंबर को ही जारी किए गए हैं।
केंद्र सरकार के सुझाव के बावजूद राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती के लिए करों में और ढील देने को तैयार नहीं है। विधायी एवं संसदीय कार्य और वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर वैट पर दो फीसद सेस खत्म किया जा चुका है। पेट्रोल पर लागू फ्लोर प्राइस खत्म किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमत कम करने को कर में छूट देने की स्थिति में नहीं है। इस दिशा में विचार नहीं किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल व डीजल पर जीएसटी लागू करने के पक्ष में है। केंद्र सरकार इस दिशा में पहल करती है तो राज्य इसे स्वीकार करेगा। जीएसटी से पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले करों में एकरूपता आ जाएगी।