हरिद्वार : बीते दिन हरिद्वार में स्वास्थय विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई। गौर हो की बीते दिन जापान से लौटे आईआईटी रुड़की के छात्र को कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज मानते हुए मेला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है। लेकिन इस दौरान स्वास्थय विभाग की बड़ी लापरवाही और गलत व्यवहार सामने आया।
मरीज को देख स्टाफ और लोगों में अफरा-तफरी मची
जी हां मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जापान से लौटे आईआईटी रुड़की के छात्र को कोरोना का संदिग्ध मरीज मानते हुए जैसे ही मेला अस्पताल लाया गया तो उसे देख स्टाफ और लोगों में अफरा-तफरी मच गईय़ जानकारी मिली है कि संदिग्ध मरीज को पॉलिथीन की वर्दी में अस्पताल लाया गया था साथ ही में एम्बुलेंस के ड्राइवर ने भी पॉलिथीन की वर्दी पहनी थी जिन्हें दे स्टाफ भी खौफ खाकर दूर भाग गया। ऐसे व्यवहार से हरिद्वार स्वास्थय विभाग और उनके कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े होते हैं।
उत्तराखंड सरकार कर रही हर संभव प्रयास, पलीता लगा रहा हरिद्वार स्वास्थय विभाग
अगर अस्पताल के कर्मचारियों का ही मरीज के साथ ऐसा अन्जान व्यवहार रहा तो लोगों को जागरुक कौन करेगा। देश भर में कोरोना से 5000 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी है। भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार कोरोना से बचाव के लिए हर संभव कोशिश कर रही है ताकि देश और राज्य की जनता को कोरोना से बचाया जा सके और जागरुक किया जा सके लेकिन इसे पलीता लगाने का काम किया बीते दिन हरिद्वार स्वास्थय विभाग और उनके कर्मचारियों ने। जब कर्मचारी ही संदिग्ध मरीज को देख हवा हवाई हो गए तो लोगों का होना तो लाजमी है। ऐसे में कौन मरीज को साहस देगा और इलाज करेगा।
सरकार को ऐसे अस्पतालों, डॉक्टरों और कर्मचारियों पर सख्त रुख अपनाने की जरुरत
सरकार को ऐसे अस्पतालों, डॉक्टरों और कर्मचारियों पर भी सख्त रुख अपनाने की जरुरत है। क्योंकि बीते दिन कोरोना के संदिग्ध मरीज को देखकर स्टाफ और लोग ऐसे भागे जैसे की उसे कोई छुआछूत की बिमारी है। हालांकि अपनी सुरक्षा सब चाहते हैं लेकिन डॉक्टर को भगवान कहा जाता है। चिकित्सा विभाग को इसकी हर जानकारी है तो ऐसे में वो खुद की सुरक्षा कर सकते हैं लेकिन मरीजों को देखने और उनका उपचार करना उनकी जिम्मेदारी है न की उनको देखकर भागना। ऐसे में आसपास के लोगों में इसका और बुरा असर पड़ेगा औऱ भेदभाव बढ़ेगा।
छात्र को हुई थी खांसी और गले में खरास की शिकायत
बता दें कि छात्र के ब्लड सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेज दिए गए हैं। अगले 72 घंटे तक अस्पताल प्रबंधन उसे अपनी निगरानी में रखा गया है। छात्र को शुक्रवार को खांसी और गले में खरास की शिकायत हुई जिसके बाद सीएमओ डॉ. सरोज नैथानी ने रुड़की सिविल अस्पताल की माइक्रो बायोलॉजिस्ट से छात्र की प्राथमिक जांच कराई। जांच में मामला संदिग्ध मिला। छात्र को मेला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया और निगरानी में ऱखा गया है।