हिमालयी क्षेत्रों के विकास का मॉडल क्षेत्र के पर्यावरण और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल होना चाहिए। यह बात श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, बादशाहीथौल, नई टिहरी द्वारा हिमालयी चुनौतियां पर आयोजित बहुविषयी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में देश और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से आए विद्वानों ने जोर देकर कही।
अमेरिका से जैक क्रोचर, नेपाल से हीरालाल पराजुली, चेन्नई से प्रोफेसर एस. रामानाथन, काशी हिंदू विश्वविद्यालय से मल्लिकार्जुन जोशी, लखनऊ स्थिति अंबेडकर विश्वविद्यालय से प्रोफेसर एम.वाई खान, वाडिया संस्थान के डा. डी.पी डोभाल, भारतीय वन्य जीव संस्थान के डीन एकेडमिक डा. जी.एस रावत, सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् डा. मुकुल सनवाल सहित तीन सौ से अधिक शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने संगोष्ठी के विभिन्न सत्रो में अपने शोधपत्र प्रस्तुत करते हुए हिमालय की भौगोलिक स्थिति एवं पारिस्थितिकीतंत्र की दृष्टि से क्षेत्र के लिए विकास का मॉडल विकसित करने पर जोर दिया।
श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति डा. यू.एस रावत ने कहा कि उनका
विश्वविद्यालय राज्य में शैक्षणिक उन्नयन एवं शोध प्रोत्साहन की दिशा में कार्य करता रहेगा। उसी परिकल्पना की दिशा में कार्य करते हुए हिमालय की चुनौतियों पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
उन्होंने बताया कि जल्द ही संगोष्ठी के निष्कर्षों की विस्तृत रिपोर्ट नीति निर्धारकों को प्रेषित की जाएगी। संगोष्ठी में मुख्य रूप से सड़क निर्माण के दौरान ढालों के स्थायित्व, बड़े बांधों से सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों, पहाडों से पलायन, पहाड़ों के प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार और उनके दोहन के तौर-तरीकों, स्वास्थ्य और गुणवत्तापरक शिक्षा, हिमालयी क्षेत्र की नदियों के साझा इस्तेमाल, मौसम में आ रहे बदलाव, किसानों की आजिविका बढ़ाने के उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई। इसमें देश-विदेश से आए 600 से अधिक विद्वानों ने शिरकत की। सत्र के दौरान 250 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। इसके अलावा तीस से ज्यादा ख्याति प्राप्त विद्वानों ने विशेष व्याख्यान दिए।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलसचिव दिनेश चंद्र ने बताया कि विश्वविद्यालय ने पहली पहली बार अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर शैक्षणिक योगदान देने की कोशिश की है। भविष्य में इस तरह के कार्यक्रम विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित किए जाएंगे।