टिहरी- भिलंगना ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय चकरेड़ा का भवन बहुत जर्जर है। मौसम के थपेडे कब उसे भरभरा कर गिरा दें कहा नहीं जा सकता। एेसे में स्कूल के जर्जर भवन के नवनिर्माण के लिए इसे इस बार जिला योजना में रखा गया था। लेकिन जिला पंचायत की सियासत में इस प्राथमिक विद्यालय की पेश नही चली। इसकी दरख्वास्त को जोड़तोड़ के माहिरों ने जिला योजना से दफा कर दिया गया। अब सवाल ये है कि अगर खुदा-न-खास्ता जर्जर हो चुके स्कूल भवन में कोई हादसा हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।
भिलंगना ब्लॉक के 1997 में बने प्राथमिक विद्यालय चकरेड़ा के भवन में इस वक्त 94 दलित छात्र-छात्राएं सरकारी तालीम ले रहे हैं। यू तो इस विद्यालय में 4 कमरे हैं लेकिंन तीन कमरे छात्रों को बिठाने लायक नहीं हैं। मौसम ठीक रहा तो बच्चों बाहर खुले आंगन में तालीम दी जाती है वरना स्कूल भवन के एक कमरे में जिसकी हालत थोड़ी ठीक हैं वहां मासूमों को बिठाया जाता है।
इस वर्ष की जिला योजना में जर्जर विद्यालय भवन का प्रस्ताव विकासखंड की ओर से रखा गया था, लेकिन जिला योजना में विद्यालय की सही वक्त पर पैरवी नही हुई। नतीजा ये हुआ कि बिना खैरख्वाह के स्कूल का नाम जिला योजना की सूची से कट गया। जबकि चकरेड़ा के प्राथमिक विद्यालय को नए भवन की सबसे ज्यादा जरुरत थी।
क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य को खबर भी नही लगी कि उनके क्षेत्र के विद्यालय का नाम जिला योजना की सूची से कट गया है। खैर उन्हे तो ये भी नही मालूम कि जिला योजना मे चकरेड़ा प्राथिमक विद्यालय के नवनिर्माण का प्रस्ताव है भी या नही। उनके ढीले रवैए से जहां स्थानीय जनता में रोष है वहीं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का कहना है कि सूची से विद्यालय का नाम क्यों काटा गया, इसकी जांच होनी चाहिए। प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गौरिया लाल चेतावनी देते हुए कहते हैं अगर जल्द ही जिला योजना में स्कूल का नाम शामिल न किया गया तो वे भूख हड़ताल करेंगे। उन्होने इसके लिए तारीख भी मुकर्रर कर दी है। 20 सितंबर से गौरिया लाल तहसील मुख्यालय मे भूख हड़ताल करेंगे।
हालांकि महकमे के अधिकारियों की माने तो दोबारा से चकरेड़ा प्राथिमक विद्यालय को जिला योजना मे रखा जाएगा। जबकि टिहरी जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण कहती हैं,”जिला योजना में अगर विद्यालय का नाम था तो उसे हटाने के कारण की जांच की जाएगी। मासूम बच्चों को खतरे के मुंह में नहीं धकेला जाएगा। होगा क्या ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन विद्यालय की दुर्दशा सवाल खड़ा कर गई है कि ऐसे जनप्रतिनिधि किस काम के जिनको अपने इलाके के सरोकारों से कोई वास्ता नही।