डेस्क। सोशल मीडिया पर भले ही सोनम गुप्ता के बेवफा होने की खूब चर्चा रही हो, लेकिन यहां जिस सोनम की बात हम कर रहे हैं, वो पूरी वफादारी के साथ अपनी हर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं रियल लाइफ के फुंसुख वांगड़ू यानि सोनम वांगचुक की। जिनका चयन रोलेक्स अवॉर्ड के लिए हुआ है। जी हां, ‘3 इडियट्स’ फिल्म के फुंसुख वांगड़ू का किरदार काल्पनिक नहीं, बल्कि लद्दाख में रहने वाले इंजिनियर सोनम वांगचुक से प्रेरित था। 3 इडियट्स में आमिर खान ने इन्हीं के जीवन को फुंसुख वांगड़ू के रूप में जिया था। दरअसल, जिन प्रतिभावान बच्चों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाता, वांगचुक ऐसे बच्चों के सपने पूरे करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए द स्टुडेंट्स एजुकेशनल ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) नाम का संगठन बनाया है। शिक्षा और पर्यावरण के लिए काम करने वाले सोनम वांगचुक पिछले 20 वर्षों से पूरी तरह दूसरों के लिए समर्पित हैं। बचपन में वांगचुक सात साल तक अपनी मां के
साथ एक रिमोट लद्दाखी गांव में रहे जहां उन्होंने कई स्थानीय भाषाएं भी सीखी। भाषा को शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा पाने पर सोनम ने जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ मिलकर लद्दाख के स्कूलों के पाठ्यक्रम को स्थानीय भाषा में करने का काम किया। 1994 में उन्होंने स्कूलों से निकाले गए स्टूडेंट्स को इकट्ठा कर 1,000 युवाओं का संगठन बनाया। और इन्हीं बच्चों की मदद से एक ऐसा स्कूल बनाया जो स्टूडेंट्स द्वारा ही चलाया जाता है और पूरी तरह सौर ऊर्जा से युक्त है। वांगचुक चाहते हैं कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में बदलाव हो। उनका मानना है कि किताबों से ज्यादा स्टूडेंट्स को प्रयोग पर ध्यान देना चाहिए। आपको बता दें कि रोलेक्स अवॉर्ड इससे पहले अरुण कृष्णमूर्ति को भी मिल चुका है। उन्होंने अपने एनजीओ के माध्यम से पर्यावरण के लिए काम किया। झीलों को बचाने के लिए उनके सराहनीय काम की वजह से उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया था। सोनम वांगचुक कई समस्याओं के बावजूद लोगों की भलाई के लिए और शिक्षा के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वह आधुनिक शिक्षा का मॉडल रखने की लगातार कोशिश कर रहे हैं और काफी हद तक इसमें सफल भी हुए हैं। गौरतलब है कि रोलेक्स अवॉर्ड दुनियाभर से कुल 140 लागों को दिया जाना है।