देहरादून – डेंगू के डंक की चपेट में राजधानी लोग आते ही जा रहे हैं। डेंगू न तो गरीब को देख रहा है, और नहीं अमीर को। लेकिन जिनकी माली हालत बेहतर है, वो अपना इलाज निजी अस्पतालों में करवा रहे हैं। लेकिन जिनकी आर्थिकी स्थिति ठीक नहीं है और जो लोग दो वक्त की रोटी के लिए जंग लड़ रहे हों, ओ अपना इलाज करवाने के लिए सरकारी अस्पताल खोज रहे हैं। सरकारी असपतालों के हाल बेहाल है। चुंकि यहां एक दून मेंडिकल कॉलेज है, जहां इस समय साढ़े तीन सौ बेड हैं। और डेंगू की आमद के बाद 30 बेड बढ़ाए जा चुके हैं। लेकिन वह भी फुल हो चुके हैं। वहीं कई मरीज स्ट्रेचर पर लेटे हैं। हालांकि डेंगू वार्ड में 10 बेड खाली हुए हैं। लेकिन उनमें डेंगू के ही मरीज आते हैं। इस पर प्रबंधन का कहना है कि जमीन पर विस्तर लगाए जा सकते हैं। लेकिन एमसीआई के साफ दिशानिर्देश हैं कि टीचिंग अस्पताल में जमींन पर मरीजों को नहीं लिटाया जाये। अब सवाल है कि गरीब लोग इलाज करवाने जये तो जाये कहां???
इलाज कराने जाएं तो कहां जाएं
