देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी की आज पुण्यतिथि है। सोशल मीडिया में उनके धर्म और अंतिम संस्कार को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं। कहा जाता है कि फिरोज गांधी मुस्लिम थे और उनके निधन के बाद उन्हें दफनाया गया था। जबकि ये बात पूरी तरह से गलत है। फिरोज गांधी पारसी धर्म से थे और उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों के मुताबिक किया गया था।
मृत्यु से पहले फिरोज गांधी की इच्छा
दरअसल, फिरोज गांधी का निधन 8 सितंबर 1960 को वेलिंगटन अस्पताल में हुआ था। मौत से पहले उनकी इच्छा थी कि पारसी होने के बाद भी उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के आधार पर किया जाए। कहा जाता है कि फिरोज गांधी को पारसी तरीके से अंत्येष्टि का तरीका पसंद नहीं था क्योंकि इसमें शव को चीलों के खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। उनकी पत्नी इंदिरा गांधी ने फिरोज की इस इच्छा का सम्मान रखा। हालांकि उन्होनें कुछ पारसी रीति रिवाजों का भी पालन किया।
फिरोज गांधी का अंतिम संस्कार
बर्टिल फाक की किताब फिरोज- द फॉरगॉर्टेन गांधी में बताया गया है कि फिरोज के शव को तीन मूर्ति भवन में रखा गया था और इस दौरान सभी धर्मग्रंथों का पाठ किया गया था। फिरोज का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों से हुआ था और उनके 16 साल के बेटे राजीव गांधी ने उनके शव को मुखाग्नि दी थी। किताब में ये भी कहा गया है के फिरोज के पार्थिव शरीर को जहां रखा गया था, वहां पारसी परंपराओं का भी पालन हुआ था और उनके शव के मुंह पर कपड़े का टुकड़ा रख अहनावेति का पहला अध्याय पढ़ा गया था।
कुछ अस्थियां बहाई और कुछ दफनाई
वहीं जब फिरोज का अंतिम संस्कार हो गया तो उनकी कुछ अस्थियों को प्रयागराज संगम में प्रवाहित कर दिया गया था और कुछ अस्थियों को दफना दिया गया था। जिस जगह पर अस्थियों को दफनाया गया, वहां फिरोज की कब्र बनाई गई। सोशल मीडिया पर इसलिए भ्रम फैलाया जाता है और तर्क दिया जाता है कि फिरोज की कब्र है इसलिए वो मुस्लिम थे।