देहरादून- सहूलियतों के आभाव में आए दिन सूबे के पहाड़ों से कोई न कोई परिवार देहरादून में शिफ्ट हो रहा है।
लिहाजा देहरादून शहर में आबादी के लिए पीने का पानी जुटाना, ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना और दून की संकरी सड़कों पर यातायात का मुक्कमल इतंजाम करना सरकारी सिस्टम के लिए चुनौती बन गया है।
ऊपर से सियासी बयानों ने इंतामात में जुटे सरकारी महकमों को बेबस कर दिया है। बदलाव को उठे कदम ऐसे में ठिठक कर रह जाएंगे ऐसा माना जा रहा है।
ये बात इसलिए कही जा रही है कि जहां देहरादून में बेतरतीब यातायात को काबू में लाने के लिए यातायात निदेशक केवल खुराना लगातार ट्रैफिक प्लान बना रहे हैं वहीं विधायक हैं कि ऐसे बयान दे रहे हैं कि जिससे निदेशक की पहल पर असर पड़ना लाजमी है।
हालांकि अभी सरकार ने विधायक के बयान को उतनी तवज्जो नहीं दी है लेकिन यूपी,बिहार में लोकसभा उपचुनाव के नतीजे और सूबे में निकाय चुनावों को देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार यातायात महकमें के बढ़ते कदमों की रफ्तार को धीमा रखने के संकेत दे सकती है।
दरअसल देहरादून में आबादी और वाहनों की तदाद के मुकाबले शहर में पार्किंग का इंतजाम नहीं है ऐसे में बीते दिनों उत्तराखंड ट्रैफ़िक निदेशालय ने देहरादून शहर के कई हिस्सों से अतिक्रमण हटाकर फ्री पार्किंग व्यवस्था बनाई । इनमें शहर के सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाके लैंसडाउन चौक से ट्रैफ़िक पुलिस ने अतिक्रमण हटाकर वाहनों के लिए फ्री पार्किंग का इंतजाम किया। इससे जहां आम मुसाफिरों को काफी राहत मिली वहीं अतिक्रमण कारियों के मंसूबों पर पानी फिर गया।
लेकिन इससे स्थानीय विधायक खजान दास नाराज हो गए हैं। राजपुर से बीजेपी विधायक खजान दास ने अतिक्रमणकारियों की पैरवी करते हुए कहा कि इससे फड़-ठेली लगाने वाले गरीबों की रोजी रोटी पर असर पड़ रहा है। लिहाजा मानवीय संवेदनाओं के हिसाब से एक्शन लिया जाना चाहिए।
तय है कि अगर विधायक साहब की चली तो यातायात निदेशक की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। वहीं अतिक्रमणकारियों के मंसबों को बल मिलेगा। कहने वाले कह रहे हैं कि अगर सियासत यूं ही घुटने के बल न बैठा करती तो आज देहरादून की बिंदाल और ऋषिपर्णा नदी जिंदा होती।