देहरादून- पीएम मोदी बाबा केदार के शीतकाल प्रवास के लिए ओंकारेश्वर मंदिर रवाना होने के एक दिन पहले केदारधाम पधारे। गढ़वाली में अपने भाषण का मुखड़ा पढ़ा और केदार पुनर्निर्माण के कुछ कार्यों के लिए शिलान्यास किया। लेकिन पीएम मोदी ने जिन कामों का शिलान्यास किया है उन में से ज्यादातर कामों का पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपने कार्यकाल में कर चुके हैं। पूर्व सीएम रावत का ऐसा दावा है।
हरीश रावत का कहना है कि पीएम मोदी को बाबा केदार को सजाने संवारने और भव्य बनाने के लिए जिन कामों को करना चाहिए था और जिनके प्रस्ताव उनकी सरकार पूर्व में पीएम मोदी के सामने रख भी चुकी थी उन कामों के बारे में पीएम ने चुप्पी साध ली है। हरीश रावत ने ये आरोप सोशल मीडिया में अपनी फेसबुक वाल के जरिए लगाए हैं- पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है-
“केदार गए मोदी बाबा, कहा मुझे केदार बाबा ने बुलाया है, पहले गंगा मां ने बुलाया जो गंगा सफाई कार्यक्रम चल रहा था वो रुका। #नमामि_गंगे कहा, नमामि गंगे कार्यक्रम आगे नहीं बढ़ पाया फिर विश्वनाथ बाबा ने बुलाया पता नहीं विश्वनाथ की धरती में कुछ काम हुआ कि नहीं हुआ हां #केदारनाथ में जो काम हमने प्रारंभ किए थे जिनका मैंने शिलान्यास किया था, जिनका मैंने लोकार्पण किया था उन्हीं कामों पर अपना शिलापट लगाने का काम जरूर प्रधानमंत्री जी ने किया, कोई नया पैकेज जिससे हम केदारपुरी को दुनिया की भव्यतम तीर्थनगरी के रूप में विकसित कर सकें, उन्होंने नहीं दिया। मंदाकिनी नदी के किनारे किनारे बाढ़ नियंत्रण का काम, भैरव पर्वत की सुरक्षा का काम और #चौराबाड़ी वाले क्षेत्र के रेस्टोरेशन का काम उसके लिए जो चार हजार करोड़ के लगभग का हमने प्रस्ताव दिया था उस पर तो चुप्पी साध गए उन्होंने तल्ली लिंगचोली, मल्ली लिंगचोली केदारपुरी रोपवे पर भी चुप्पी साध गए और चौमासी वाली सड़क पर भी चुप्पी साध गए। कुछ काम जो घाट हमने बना दिए थे, वही घाट कुछ और शायद बन जाएं इसके अलावा कोई काम ऐसा नहीं लगता है जिसको मोदी जी ने केदारनाथ के लिए स्वीकृत किया हो हां ये जरूर है कि केदारनाथ में पुनर्निर्माण और पुनर्वास का काम, यात्रा को सुचारु रुप देने का काम जो कांग्रेस ने दिया था उससे श्रेय छीनने की होड़ में मोदी जी जरूर खड़े हो गए हैं, समय इस बात का फैसला करेगा लाखों वो तीर्थ यात्री इस बात का फैसला करेंगे जिन्होंने अपने मन में सोच लिया था कि बाबा केदारनाथ की यात्रा तो 10 साल से भी पहले स्टार्ट नहीं होगी, हमने 2014 में ही वो यात्रा प्रारंभ की, चारधाम यात्रा प्रारंभ की और 2016 में हमनें 2017 में 30 लाख यात्री यहां आयें और 2018 में 50 लाख यात्री यहां आयें उसकी योजना बनाई, अब हमारी ये योजना कितनी आगे बढ़ पायेगी ये तो समय बताएगा लेकिन हां मोदी जी ने पहली बार केदारनाथ का उपयोग राजनीतिक कार्यों के लिए किया, कहा मैं तो 2013 में ही कायाकल्प कर देता, रोका किसने था? यदि रोका था तो रोकने वाले विजय बहुगुणा अब मोदी जी के ही पाले में हैं, उनके साथ हैं तो उनसे पूछ लें। हमने सभी से मदद ली, सारा पुनर्वास, पुनर्निर्माण का काम मेरे कार्यकाल में हुआ। हमने सभी भाजपा शासित राज्यों, भाजपा के लोगों, सबकी मदद से इस काम को आगे बढ़ाने का काम किया लेकिन गुजरात का कोई प्रस्ताव मेरे सामने नहीं आया इसलिए ये कहना कि मैं तो 2013 में ही कायाकल्प कर देता, मुझको कायाकल्प नहीं करने दिया गया, मोदी जी जो काम आप 2013 में नहीं कर पाए हमने बुनियाद डाल दी है कायाकल्प की, आप उस काम को 2018 में कर दीजिए। हम भी नजर रखेंगे। अभी समय है,आप कर दीजिए, देखते हैं आप क्या कायाकल्प कर रहे हैं।”
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर वाकई में पीएम ने उन्ही कामों का दोबारा से शिलान्यास किया है तो इसमें नया क्या है ? आखिर सरकार के सामने ऐसी क्या मजबूरी थी कि जो पीएम से उन्हीं कामों का शिलान्यास करवाया गया जिनके शिलापट्टों से हरीश रावत ने भी पर्दा हटाया था।