देहरादून : ऋषिकेश हरिपुर कला में एक स्वामी का दर्द झलका जो दर-दर की ठोकरें खा रहा है लेकिन उसका साथ न तो सरकार दे रही है और न ही पुलिस. जिससे साफ कहा जा सकता है कि संतों पर खतरा मंडरा रहा है. संत अपने आश्रम के लिए औऱ इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहा है. संत ने आरोप लगाया है कि भू-माफियाओं ने उनके हस्ताक्षर कर नकली पावर ऑफ अटॉर्नी के बल पर आश्रम में कब्जा किया. सतं ने इस सब के पीछ राजनेताओं का हाथ होने का भी आरोप लगाया.
मेरी हत्या हुई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी रायवाला थाना व भूमाफिया-संत
जी हां ऋषिकेश हरिपुर कला में एक संत पिछले 3 साल से अपने आश्रम को भू माफिया से मुक्त कराने के लिए देश के प्रधानमंत्री से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री और यहां तक की पुलिस मुख्यालय में दर्जनों बार अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए चक्कर काट चुका है लेकिन आज तक उनकी रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई है. संत ने भू माफियाओं के पीछे कुछ राजनेताओं का हाथ होने का आरोप लगाया है. उन्हें आशंका है कि उनकी हत्या भी हो सकती है। स्वामी ने यहां तक आरोप लगाया कि अगर उनकी हत्या हुई तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी रायवाला थाना व भूमाफिया की होगी।
स्वामी ने दी पुलिस मुख्यालय में डीजीपी के दर पर दस्तक
आज एक बार फिर स्वामी ने पुलिस मुख्यालय में डीजीपी के दर पर दस्तक दी और एक बार फिर भूमाफिया से अपना आश्रम खाली कराने की मांग की और मीडिया के सामने अपना दर्द रखा कि आज तक भू माफिया के खिलाफ पुलिस ने दर्ज नहीं की. जिससे अब उन्हें अपनी जान का खतरा सता रहा है. यहां अध्यक्ष अजेत ईशावास्यम ने कहा कि हरिपुर कला ऋषिकेश निवासी एक बिल्डर आश्रम में कब्जा करने के लिए ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
20 करोड़ है जिसे 8 करोड़ दिखाया गया और उनके खाते में डाले 5 लाख रुपये
ज्ञापन में कहा कि इशावस्यम मिशन हरिपुर कला ऋषिकेश आश्रम की रजिस्ट्री म्यूटेशन का स्वामी अजेत ईशावास्यम सन्यासी है और एक तरफ पैसे के बल पर और एक कमजोर लााचार सन्यासी पिछले 3 साल से न्याय के लिए भटक रहा है लेकिन किसी भी प्रकार की सुनवाई ना होने से न्याय नहीं मिल पाया है. उन्होंने बताया ति आश्रम की कीमत 20 करोड़ है जिसे 8 करोड़ दिखाया गया और भू-माफियाओं ने उनके खाते में 5 लाख रुपये डाले हैं. बड़ा सवाल है कि अगर उन्होंने अपने आश्रम को बेचा है तो कम से कम पूरी कीमत मिलनी चाहिए थी. ऐसे में झूठे साइन कर अपने कब्जे में करना अपराध है.
हस्ताक्षर कर नकली पावर ऑफ अटॉर्नी के बल पर आश्रम में कब्जा किया
ज्ञापन में कहा कि बिल्डर ने उनके हस्ताक्षर कर नकली पावर ऑफ अटॉर्नी के बल पर आश्रम में कब्जा किया हुआ है. जबकि मैं जीवित हूं और मेरे हस्ताक्षर नहीं है यह कागज फर्जी है।ज्ञापन में कहा गया है कि बिल्डर है उसके सहयोगियों का यह षड्यंत्र है कि बाबा को जान से मार के फर्जी कागज द्वारा स्वामी प्राप्त करना है। जान जाती है तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित बिल्डर की होगी ज्ञापन में कहा गया है कि मुझे लाचार सन्यासी की 3 साल से न्याय के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर में प्रेषित किए गए लेकिन आज तक उन्हें नहीं मिल पाया है और थाने में मुकदमा नही किया जा रहा है।