उत्तरकाशी: केसर की जब भी बात होती है। कश्मीर का नाम सबसे पहले लिया जाता है। कश्मीर का केसर अपने आप में एक ब्रांड है। लेकिन, उत्तराखंड का केसर भी देश-दुनिया में महकेगा। काश्तकारों की जीवन को भी चमकाएगा। जिले के हर्षिल घाटी में केसर उत्पादन की योजना परवान चढ़ती नजर आ रही है। हषिर्ल घाटी के पांच गांवों केसर की खेती के रंग नजर आने लगे हैं। काश्तकारों ने जो बीज बोए, ज्यातर अंकुरित हो गए हैं और फूल खिल गए हैं।
हर्षिल घाटी की पहचान आज तक सेबों से होती है। हर्षिल की राजमा भी लोगों को खूब भाती है। अब इस खूबसूरत घाटी को एक और नई पहचान मिलने जा रही है। वह पहचान है केसर की खेती। यहां कि काश्तकारों को कृषि विभाग की ओर से बीज दिए गए थे, जिनकों किसानों क्यारियां बनाकर रोपा था, जिसके शानदार नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं।
केसर की खेती के लिए घाटी का मौसम व मिट्टी मुफीद होने के चलते कृषि विज्ञान केंद्र ने वर्ष 2018-19 में पहले ट्रायल के तौर पर किसानों को केसर के बीज दिए थे। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। इसे देखते हुए इस वर्ष जिला प्रशासन व उद्यान विभाग ने जिला योजना 2021-22 से घाटी के सुक्की, झाला, मुखबा, पुराली व जसपुर गांवों के करीब 38 किसानों को केसर के बीज दिए थे।
किसानों ने इन्हें खेतों में बोया। एक से डेढ़ महीने में ही इन पर फूल खिलने शुरू हो गए हैं। इससे काश्तकार उत्साहित हैं। सुक्की गांव के किसान मोहन सिंह राणा ने बताया कि उन्हें 6 किलो बीज मिले थे, जो उन्होंने 22 सितंबर को बोए थे। एक महीने में ही इन पर फूल आने शुरू हो गए हैं। 15 अक्तूबर तक फूल आते रहेंगे। हर्षिल के काश्तकार नागेंद्र सिंह रावत ने भी केसर के बीज बोए थे। उनके खेतों में भी फूल खिल रहे हैं।