देहरादून : हरीश रावत। सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत सियासत में पूरी तरह सक्रिय हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के किसान बिल का विरोध मौन व्रत रखकर किया। वो मौन तो रहे, लेकिन देहरादून से पंजाब तक अपनी आवाज पहुंचा दी। हरदा ने पौने दस बजे अपना उपवास शुरू किया। गांधी की जी मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद पौने 12 बजे तक मौन व्रत और उपवास किया।
खास बात यह रही कि उनको मौन व्रत भले ही देहरादून में था, लेकिन उन्होंने पंजाब प्रभारी होने का एहसास भी कराया। हरदा मौन व्रत और उपवास खुद भी समाप्त कर सकते थे, जैसा वो पहले भी करते आए हैं, लेकिन आज उनका उपवास गुरुद्वारे के ग्रंथी ने जूस पिलाकर तुड़वाया। इससे हरदा ने यह भी बताने का प्रयास किया है कि पंजाब के प्रति उनका कितना लगाव है।
अब हरदा की सियासी गणित को समझते हैं। हरदा ने मौन व्रत भले ही देहरादून में किया हो, लेकिन उनका संदेश पंजाब तक गया। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंद्र सिंह किसान विरोधी काननू का विरोध किया जा रहा है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि पंजाब, उत्तराखंड़ और देश के किसानों के साथ मैं अपनी भावनात्मक एकता प्रकट करना चाह रहा हंू। यही सत्याग्रह का रास्ता गांधी बाबा ने दिखाया था।