चमोली। बद्रीनाथ में गंगा दशहरा के मौके पर पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य (ज्योतिष्पीठ एवं द्वारका शारदा पीठ) स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने त्रिदिवसीय अखिल भारतीय वैदिक सम्मेलन के समापन समारोह में कहा कि उत्तराखंड का विकास इसलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि यहाँ स्थान-स्थान पर गंगा बांध दी गयी हैं । पहाड़ों में सुरंगें बनायी जा रही हैं जिससे जलवायु और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। सुरंगों के बनने से झरनों का जल नीचे चला जा रहा है जिससे जलवायु संकट बढ़ रहा है। इससे पहाड़ सूख रहे हैं। हरियाली कम हो रही है। खेती-बारी समाप्त हो रही है। परिणाम स्वरुप पहाड़ों से लोग पलायन कर रहे हैं ।
शंकराचार्य ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य का गठन इसलिए हुआ कि इसका विकास होगा और यहाँ से पलायन रुकेगा किन्तु परिणाम उलटा निकल रहा है। नया राज्य बनने के बाद यहाँ से पलायन और अधिक होने लगा है। इसके लिए सरकार की गलत नीतियाँ जिम्मेदार हैं। गंगा पर बिजली परियोजनाओं से लाभ की अपेक्षा हानि अधिक है। पूज्यपाद शंकराचार्य जी ने कहा कि जल तभी तक गुणवान रहता है जब तक उसका सम्पर्क धरती से रहता है। गंगाजी का प्राकृतिक मार्ग बन्द कर पहाड़ों में सुरंगें बनाकर सीमेंट के पाईप से प्रवाहित कराने से गंगाजल का धरती से सम्बन्ध टूट जाता है और उसकी गुणवत्ता क्षीण हो जाती है।
शंकराचार्य जी ने कहा कि इस राज्य को जितनी बिजली की आवश्यकता है उतनी अन्य छोटी नदियों से बनायी जा सकती है। सरकार अतिरिक्त बिजली बेचने के लिये बनाती है जिससे प्राप्त धन का उपयोग शासन तंत्र के वेतन-भत्ते सुख-सुविधाएं बढ़ाने में होता है, जनता के विकास में नहीं।
समारोह में शंकराचार्य ने काशी से बद्रीनाथ तक आयी “अविरल गंगा यात्रा” को भी आशिर्वाद दिया। इस यात्रा के अंतर्गत “गंगा सेवा अभियानम्” और गंगा संरक्षण के लिये कार्यरत अनेक संगठनों के सदस्यों ने वाराणसी से बद्रीनाथ तक की यात्रा किया और अलकनंदा एवं उत्तराखंड के पञ्चप्रयाग से जलकलश भरकर ले जायेंगे तथा वाराणसी में काशी विश्वनाथ जी का अभिषेक करेंगे।