देश भक्ति..देश भक्ति ही है जो एक इंसान में वर्दी पहनने और सरहद पाकर जाकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने का साहस भरती है…और इसमे उत्तराखंड के जवान सबसे आगे हैं. बीते दिनों जम्मू कश्मीर में उत्तराखंड के दो जवानों ने शहादत दी…जिसमे रुद्रप्रयाग के देवेंद्र सिंह और पौड़ी के अमित अंथवाल शामिल हैं।आज उनका पार्थिव शरीर सेना के वाहन से उनके पैतृक गांव लाया गया। पूरे गांव का माहौल गमगीन था. परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल था। हर किसी की आंखें नम थी और आंसू और अधिक निकले ये सोचकर की जवान के सिर पर सेहरा बंधने वाला था लेकिन वो तिरंगे में लिपटा पहुंचा।
शहीद के दो बच्चे
आंसू और अधिक निकले ये सोचकर कि एक पिता दो छोटे बच्चों को पत्नी को और बूढ़ी मां को अकेले छोड़ गई। उनका इकलौता सहारा छिन गया। बता दें कि सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे शहीद देवेन्द्र सिंह राणा का पार्थिव शरीर हैली से गुप्तकाशी पहुचा और सड़क मार्ग से पार्थिव शरीर को सेना उनके गांव तिनसोली पहुंचाया, जहां उनके परिजन और लोग शहीद के अन्तिम दर्शन किए। वहीं जिसके बाद 10 बजे शहीद की अन्तिम यात्रा मंदाकिनी नदी के किनारे उनके पैतृक घाट भीरी के लिए रवाना हुई और सैन्य सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया गया।
सीएम ने दी अंतिम सलामी
जब शहीदों का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत भी रुद्रप्रयाग और पौड़ी में दोनों शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे. सीएम समेत सांसद ने शहीदों को अंतिम सलामी दी। मुख्यमंत्री ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सरकार शहीदों के परिवार के साथ खड़ी है.
कुपवाड़ा में हवलदार के पद पर सेवा दे रहे थे
कुपवाड़ा में शहीद हुए देवेन्द्र सिंह राणा 38 साल के थे। उनका पैतृक गांव रूद्रप्रयाग के बसूकेदार तहसील में तिनसोली ग्राम पंचायत है। शहीद 2003-04 में देवेन्द्र सिंह राणा भारतीय सेना के 4 पैरा में भर्ती हुए थे और वर्तमार में कुपवाड़ा में हवलदार के पद पर सेवा दे रहे थे। शहीद का परिवार ऋषिकेश के छिद्दरवाला में रहता है। उनके दो बच्चे हैं उनकी बेटी 14 साल की तरह बेटा 11 साल का है जो कि ऋषिकेश के छिद्दरवाला में रहकर पढ़ाई करते थे।