देहरादून,संवाददाता- परिवर्तन यात्रा के दौरान भाजपा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तीन स्थानों पर जनसभाओं को संबोधित करेंगे। देहरादून से अपने संबोधन का आगाज करने वाले अमित शाह मुख्य तौर पर कांग्रेस के भ्रष्ट्राचार पर ही करारी चोट करेंगे। इसके अलावा मोदी के गुणगान करने से वे पीछे नहीं हटेगे। माना जा रहा है कि शाह के संबोधन में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कालाबाजारी की रोक पर की गई मोदी की चोट का भी जिक्र जरूर होगा।
भाजपा सूत्रों की माने तो इस मौके पर शाह विधानसभा अध्यक्ष के हाल में विवेकाधीन कोष के कथित घपले को भी भुनाने का पूरा प्रयास करेगे। इसके अलावा गैरसैंण सत्र को लेकर भी गैरसैंण पर चली आ रही सियासी बयार में शाह भी हाथ सैकने से पीछे नहीं हटेंगे। वे ये बताना भी नहीं भूलेंगे कि किन परिस्थितियों में और किस सरकार की वजह से उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ। इसके साथ ही शाह जब जनसभा के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही हरीश रावत सरकार को मदद का जिक्र भी नहीं भूलेंगे। आपदा के दंश झेल रही राज्य सरकार को केंद्रीय मदद के आंकड़े गिनाते हुए भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों की राज्य विकास के लिए कैबिनेट में लिए कुछ अहम फैसलों खास तौर से ऐसे फैसले जो खंडूड़ी सरकार ने लिए का जिक्र करना भी नहीं भूलेंगे। वे ये भी बताना नहीं भूलेंगे कि भ्रष्ट्राचार में डूबी कांग्रेस सरकार सवैधानिक पदों का किस तरह से खिलवाड़ कर रही है।
जिन 15 मुद्दों को भाजपा प्रदेश संगठन ने तैयार किया है उन में शाह की नजर खास तौर पर रहेगी। यानि तय है कि शाह जनसभा को दौरान खनन और शराब नीति पर करारा प्रहार करेंगे। इसके अलावा परिवर्तन यात्रा के बहुउद्देश्यों पर चर्चा के साथ ही मोदी सरकार की तमाम उपलब्धियों को गिनाने से भी वे नहीं हटेंगे। साफ तौर पर समझें तो भय न भ्रष्ट्राचार अबकी बार मोदी सरकार के फार्मूले को वह पूरी तरह से कैश कराने का प्रयास करेंगे। 10 का दम भी बताते हुए शाह भाजपा में शामिल उन सभी नेताओं का जिक्र करते समय कांग्रेस को छोड़ने के पीछे की जिन मानसिकता पर जोर देंगे उसका केन्द्र बिंदु भ्रष्ट्राचार ही होगा।कांग्रेस सरकार और संगठन की रार का जिक्र भी शाह की शैली का एक अंदाज होगा। हालाकि इस सवाल पर कि भाजपा की अन्तरकलह कैसे थमेगी पर शाह शायद की कुछ बोलें। मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी संभवता शाह कुछ स्पष्टीकरण देे। हालाकि उस जनसभा के दौरान मिशन 2017 का आगाज भले ही शाह कर जांए बावजूद इसके बाहर से आने वाले नेताओं की भाजपा में स्वीकारोक्ति के कई प्रश्न हवा मे ही तैरते रह जाएंगे। अब सवाल ये है कि शाह का संबोधन भाजपा कार्यकर्ताओं में कितना जोश भर पाता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। परिवर्तन यात्रा का अगला पड़ाव शाह की इस रैली के बाद ही चल पड़ेगा। पीछे छूट जाएंगे वे सवाल जिसका जवाब वक्त आने पर शाह के साथ-साथ समूची भाजपा को भी समझ में आ जाएगा। यानि जनता का जवाब ही शाह को सही जवाब होगा। इंतजार करिए।