उत्तराखंड रोड़वेज के मुलाजिम सातवां वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की सरकार से मांग कर रहे हैं। जबकि हकीकत ये है कि अभी कुमाऊं मंडल के नौ डिपो में तैनात करीब तीन हजार कर्मचारियों को अगस्त की तन्ख्वाह भी नहीं मिली है। पितृपक्ष के श्राद्ध इधर-उधर कर के निबटाने को मजबूर हुए मुलाजिम पाई-पाई को तरस गए हैं।
बावजूद इसके प्रबंधन का दिल नहीं पसीजा। बेफिक्र प्रबंधन के रवैए को देखते हुए परिवहन निगम के कर्मचारियों में बेहद आक्रोश है और पगार के लिए उन्होंने आंदोलन का मन बना लिया है। जिससे प्रबंधन को भी वाकिफ करा दिया गया है जिससे आलाधिकारियों के होश फाख्ता हो गए हैं।
माना जा रहा है कि ये हालात बरसात सीजन में हुई कम कमाई के चलते हुई है। दरअसल जुलाई अगस्त और सितंबर में बरसात होने के चलते इस दौरान बसों में यात्रियों की कमी रहती है, जिससे परिवहन निगम की आमदनी में कमी आ जाती है। माना जाता है कि इस दौरान निगम की आय 35-40 फीसदी ही रह जाती है। जबकि कुछ आमदनी चालक परिचालक सड़कों पर खड़े मुसाफिरों को छोड़कर घटा देते हैं। जबकि कुछ आमदनी सरकार की लोकलुभावन नीतियों और प्रबंधन की कमियों से कम हो जाती है।
बहरहाल बजट की कमी से रुद्रपुर, काशीपुर, रामनगर, हल्द्वानी, काठगोदाम, जेएनएनयूआरएम काठगोदाम, भवाली, रानीखेत और अल्मोड़ा डिपो में तैनात करीब तीन हजार कर्मचारियों को वेतन के ताले पड़ गए हैं। इससे निगम कर्मचारियों में आक्रोश है। कर्मचारियों का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं है। बल्कि आलम ये है कि कभी भी वेतन समय पर नहीं मिल रहा है।
कर्मचारियों का कहना है कि नवरात्र के साथ अगले माह दशहरा और दीपावली भी हैं। ऐसे में वेतन नहीं मिलने पर कर्मचारियों के सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा। हालांकि अधिकारियों की माने तो बजट रिलीज होते ही कर्मचारियों की पगार वितरित कर दी जाएगी। हालांकि होगा क्या ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन आलम ये है कि कर्मचारी जहां निगम प्रबंधन पर लाल-पीले हो रहे हैं वहीं अधिकारी बजट का रोना रोते हुए दबी जुबान में सरकार को कोस रहे हैं।