देहरादून (मनीष डंगवाल): पिछले दिनों सोशल मीडिया में उत्तरकाशी केलसू घाटी में तैनात शिक्षक आशीष डंगवाल की कई तस्वीरें वायरल हुई थी। आशीष रातों-रात स्टार बन गए थे। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री से लेकर वो हर किसी के चहेते हो गए थे। अब आशीष डंगवाल एक बार फिर से सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। आशीष जिस काॅलेज में तैनात हैं। उन्होंने वहां के छात्रों के साथ स्कूल टाइम के बाद की एक मुहिम शुरू की है। उनकी इस मुहिम को लोगों को खूब साथ मिल रहा है।
घराटों को बचाने की मुहिम
इस बार शिक्षक आशीष डंगवाल चर्चाओं में विलुप्त होते घराटों को पुनर्जीवित करने को लेकर हैं। राजकीय इंटर कॉलेज गढ़खेत टिहरी गढवाल में प्रवक्ता पद पर तैनात आशीष ने स्कूल की छुट्टी होने के बाद स्कूल के छात्र-छात्राओं के साथ विलुप्त होते घराटों को बचाने की मुहिम शुरू की है। आशीष ने सोशल मीडिया को जरिया बनाया। उनका लक्ष्य दम तोड़ते घराटों को फिर से देश और दुनिया की नजरों में लाना है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है, जो हर किसी को बेहद पसंद आ रहा है।
सेल्फी डेस्टिनेशन बना घराट
पहाड़ो में एक समय घराट ही आटा चक्की हुआ करते थे। बदलते वक्त के साथ घराट दम तोड़ते नजर आए और विलुप्ति की कगार पर जा पहुंचे। इन्हीं घराटों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए शिक्षक आषीष ने अपने बच्चों के साथ घराट को ऐसा चमकाया की घराट स्कूल से ज्यादा चमकने लगा। मिट्टी और गोबर को मिलाकर घराट की लिपाई-पुताई करने और कुछ पेंटिंग करने के बाद घराट शानदार नजर आ रहा हैं
घराट के कई फायदे
कैप्टीफाॅल और यमुना ब्रिज के पास सजाए गए इस घराट पर अब सेल्फी लेने वालों की कतार लगी हुई है। सुनसान रहने वाला गदेरा अचानक लोगों के आकर्षण का केंद्र बना गया। शिक्षक आशीष का कहना है कि घराट को चमकाने के उनका मकसद ये है कि घराट के जरिये पहाड़ों में बिजली बनाई जा सकती है। जिससे पहाड़ के गांव रोशन हो सकते हैं। साथ ही घराट से पर्यटन केंद्र भी विकसित किये जा सकते हैं। घराट में पिसे आटे से कब्ज की समस्या नहीं होती है। घराट में पिसे आटे में आयरन की मात्रा अधिक होती है। आशीष ने बताया कि घराट के महत्व को समझाने के लिए उनके साथ स्कूल के बच्चों का योगदान अहम है, जिन्होंने उनके साथ 25 अक्टूबर से 9 नवंबर स्थापन दिवस तक लगातार काम किया।