हलद्वानी : महज़ 11 साल की उम्र में यदि कोई निरालंबा चक्रासन का कठिन प्रशिक्षण लेकर विश्व रिकॉर्ड तोड़ दे तो इसे उसका हुनर ही कहा जायेगा, हलद्वानी गौलापार के रहने वाली रिया पलड़िया भी इसी प्रतिभा का एक उदाहरण हैं जिन्होंने बहुत ही कठिन निरालंबा चक्रासन में विश्व रिकॉर्ड बना डाला है, इससे पहले यह रिकॉर्ड आंध्रप्रदेश, मैसूर की रहने वाली लड़की खुशी के नाम था।
ओलम्पिक में जिम्नास्टिक खेलकर गोल्ड मेडल जीतने का सपना
कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नही होती। हल्द्वानी…गौलापार की 11 वर्षीय रिया ने इस कहावत को सही ठहराया है। रिया ने निरालंबा चक्रासन को 1 मिनट में 21 बार कर विश्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया है, अभी तक विश्व रिकॉर्ड दक्षिण भारत की खुशी के नाम है जो इस आसन को 1 मिनट में 15 बार कर लेती थी, रिया एक निजी स्कूल में 6th कक्षा की स्टूडेंट हैं। वे बचपन से ही योगा, जिम्नास्टिक की शौकीन रही हैं। अपने सपने को पूरा करने के लिए रिया रोज करीब 15 किलोमीटर का सफर तय करती हैं, जिसमे उनके माता पिता उनका पूरा साथ दे रहे हैं। अपनी इस कामयाबी पर रिया गदगद हैं, औऱ अब उनका सपना ओलम्पिक में जिम्नास्टिक खेलकर गोल्ड मेडल जीतने का है।
माता-पिता को बेटी पर गर्व
बच्चे कामयाबी के शिखर पर खड़े हो तो माता पिता के लिये इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है। रिया के पिता नवीन औऱ माँ हेमा आज बेटी की इस कामयाबी पर फूले नही समा रहे हैं। आज जब उनकी बेटी ने 1 मिनट में 21 बाद निरालम्ब चक्रासन कर विश्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया तो वे बेटी की कामयाबी पर गदगद हैं ।
जिम्नास्टिक में गोल्ड मेडल के लिए करेंगे तैयार
रिया की इस कामयाबी में पूरा साथ उनके मास्टर ट्रेनर ने दिया। ट्रेनर अमित के मुताबिक रिया शुरू से ही जिम्नास्टिक औऱ योगा आदि की शौकीन रही है। लिहाज़ा उन्हे इसे सीखने में ज्यादा दिक्कत सामने नही आये, जिसका परिणाम यह है कि आज उन्होंने निरालंबा चक्रासन के जरिये विश्व रिकॉर्ड तोड़ डाला है। अब वे रिया को ओलम्पिक के लिए जिम्नास्टिक में गोल्ड मेडल के लिए तैयार करेंगे।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के इंडिया हेड रहे मौजूद
जब रिया ने नीलांब चक्रासन में विश्व रिकॉर्ड बनाया तो उस समय मौके पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के इंडिया हेड भी मौजूद रहे, उन्होंने भी रिया को शुभकामनाएं देते हुए कहा की रिया की इस कामयाबी पर पूरे उत्तराखंड को गर्व है।
जिस उम्र में बच्चे खेलने कूदने में मस्त रहते हैं। उस उस उम्र में रिया ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिस पर यकीन कर पाना बहुत मुश्किल है, रिया का नाम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज होने पर पूरे उत्तराखंड को रिया पर नाज़ है ।