किच्छा- उत्तरभारत में पहली बार पन्त नगर के वैज्ञानिकों ने डामर मधुमखियों को वैज्ञानिक तरीके से पालते हुए नया इतिहास लिखा है। दक्षिण भारत के बाद पहली बार पन्तनगर कृषि विश्व विधलाय के वैज्ञानिकों ने डामर मधुमखियों पर शोध करना सुरु कर दिया है डामर यानी कि बिना डंक वाली मधुमखिया अन्य मधुमखियों से किस तरह किसानों को 10 गुना फायदा पहुचा सकती है देखिए इस रिपोर्ट में।
शहद की कीमत सुन कर आप भी हैरान हो जाएंगे
क्या आप को पता है की मधुमखियों के शहद की कीमत बाजार में क्या हो सकती है. अगर आप का जवाब साढ़े तीन सौ रुपये में अटक गया हो तो आप गलत हैं. क्योंकि डामर मधुमखियों से निकलने वाले शहद की कीमत सुन कर आप भी हैरान हो जायेगे. जी हां बाजार में इस शहद की कीमत 25 सौ से 3 हजार रुपये किलो है. ये हम नहीं कह रहे है बल्कि पन्तनगर कृषि विश्वविधालय के वैज्ञानिक बता रहे हैं.
डामर मधुमखियां हैं बिना डंक वाली मधुमखियां
यही नहीं अगर आप मौन पालन के शौकीन है और आप इटेलियन ओर भारतीय मधुमक्खी के डंकों से ज्यादा ही परेशान हो गए है तो इस बार पन्तनगर के वेज्ञानिको द्वारा जंगल मे पेड़ो के तने को अपना घर बना कर रहने वाली डामर(बिना डंक वाली) मधुमखियों पर शोध कर पालने की वैज्ञानिक विधि निकाल ली है जी हा अब तक साउथ इंडिया में अमूमन डामर मधुमक्खी को पालने का काम किया जाता था.
मधुमखियों को पालने और उसके शहद को निकालने की वैज्ञानिक विधि इजात की
लेकिन उत्तर भारत में पहली बार पन्तनगर के वेज्ञानिकों और छात्रों द्वारा डामर मधुमखियों को जंगल से पकड़ कर पालने और उसके शहद को निकालने की वैज्ञानिक विधि इजात की है. जंगलो में पेड़ों के तनों और पुराने घरों की दीवारों को अपना घर बना कर रहने वाली ये मधुमखियां किसानों की आमदनी को कई गुना बड़ा सकती है.
शोध के दौरान पता चला कि डामर मधुमखियों को पालने से किसानों की फसलो की पैदावार में 10 से 20 फीसदी अधिक उत्पादन की जा सकती है. खास कर पोली हाउस संचालित कर रहे किसानों और बगीचों जैसे आम, अमरूद, लीची ओर सूरजमुखी की खेती करने वाले किसानों के लिए ये डामर मधुमखिया सामान्य से परागकण की प्रकिर्या को कर 20 फीसदी अधिक पैदावार को बढ़ाने में राम बाण साबित हो सकती है। यही नहीं आयुर्वेद दवाओ में इस के प्रयोग के कारण किसान इसे उचे दामो में बेच कर अपनी आमदनी बड़ा सकता है।
मेडिसिन दवा में पड़ने वाला ये शहद तब ओर भी अधिक महंगा हो जाता है
मेडिसिन दवा में पड़ने वाला ये शहद तब ओर भी अधिक महंगा हो जाता है. जब किसान इन्हें पाल कर इसके शहद को बेचना शुरु करता है. अमूमन पेड़ों के तनों और खंडहर घरों को अपना वास बनाने वाली बिना डंक वाली मधुमखियों से निकलने वाला शहद आप की सेहत को भी फिट रखने का काम करता है. डामर मधुमखियों द्वारा बनाया गए शहद के सेवन से आप बीमार नहीं हो सकते. खासी, जुखाम, बुखार के साथ साथ मुह से सम्बंधित बीमारियों में भी ये राम बाण का काम करती है.
इस शहद के प्रयोग से माउथ कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी को दूर किया जा सकता
शोध के दौरान ये भी पता चला है कि इस शहद के प्रयोग से माउथ कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी को दूर किया जा सकता है वेज्ञानिको के अनुशार शोध के दौरान एक मुह के कैंसर पीड़ित को इस के प्रयोग से 15 सलो तक बचाया गया।
पिछले कई सालों से शोध कर रहे छात्र के अनुशार डामर मधुमखियों को दक्षिण भारत के बाद पहली बार उत्तरभारत में पलने का काम शुरु किया.