देहरादून : बड़ी शर्मिंदगी भरी बात है आप भी सुनेंगे तो चौंक जाएंगे और वो स्कूल वाले भी इस खबर को पढ़कर चौंक जाएंगे जिन्होंने उस बच्ची को एडमिशन देने से मना किया जिसके साथ दरिंदगी की गई…
सरकार के दावे खोखले, छोटी सोच वाले स्कूलों के मूंह पर तमाचा
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की बात करने वाली केंद्र की मोदी औऱ राज्य की त्रिवेंद्र सरकार के दावे खोखले निकले…ये दावे एक माता-पिता को मायूस कर गए और एक बच्ची को दर-दर भटकने को मजबूर कर गए. हमेशा से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का दावा करने वाली सरकार ने क्या कभी जाना की असलियत क्या है. मोदी जी कई बार उत्तराखंड आए और खासतौर पर देहरादून में रहे लेकिन क्या उन्होंने ये जाना की देहरादून में एक रेप पीड़िता के साथ कैसा बर्ताव हुआ…क्या किसी ने इसका संज्ञान लिया??? शर्म आती है कि देवभूमि कहलायी जाने वाले राज्य के लोगों की सोच ऐसी निकली की रेप पीड़िता को दूसरे राज्य में स्कूल में प्रवेश के लिए जाना पड़ा और वहां पढ़ने को मजबूर होना पड़ा. लेकिन साथ ही ये उन स्कूल वालों के मूंह पर तमाचा भी है.
जीआरडी स्कूल गैंगरेप का मामला
जी हां जीआरडी स्कूल में नाबालिग छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के बारे में तो सबको मालूम है. स्कूल के ही 4 छात्रों ने उसका रेप किया औऱ इस बात का तब खुलासा हुआ जब उसकी तबीयत बिगड़ी और इस बारे में परिजनों को बताया कि वो गर्भवती है…इसके बाद स्कूल प्रबंधन को जानकारी होने पर उन्होंने बच्ची का गर्भपात कराना चाहा…जिसकी उसकी तबीयत बिगड़ गई औऱ इसकी शिकायत एसएसपी को की गई. पुलिस ने 4 छात्रों समेत 9(स्कूल प्रबंधन) लोगों को गिऱफ्तार किया.
माता-पिता को थी आस, उनकी बेटी फिर स्कूल जाएगा, सारे गम भूल जाएगी
स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई और बाकी बच्चों ने जगह-जगह दूसरे स्कूलों में एडमिशन लिया लेकिन चुनौती थी उस रेप पीड़िता के सामने…लेकिन उसके माता-पिता को आस थी की उसकी बेटी फिर स्कूल जाएगी और जो भी उसके साथ हुआ वो भूल जाएगी. लेकिन बच्ची और बच्ची के माता-पिता के दुखों पर आग में घी डालने जैस काम किया नामी स्कूल ने जिसने एडमिशन देने से सिर्फ इसलिए मना किया कि उनकी बेटी रेप पीड़िता है लेकिन इस पर मरहम लगाने का काम किया यूपी के एक स्कूल ने.
देहरादून में नहीं मिला एडमिशन, यूपी के स्कूल में मिला एडमिशन
जी हां सू्त्रों से खबर है कि जब देहरादून के किसी स्कूल में रेप पीड़िता को एडमिशन नहीं मिला तो वह उत्तरप्रदेश गए और वहां के एक स्कूल ने बच्ची को एडमिशन दे दिया है. धिक्कार है उत्तराखंड के कुछ ऐसे लोगों पर जो सिर्फ जबां पर ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं की बातें करते हैं भाषण देते हैं लेकिन जमीनी सच्चाई क्या है वो उस बच्ची के माता पिता तो जरुर ही जान गए हैं.
सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकि अंदर के सिस्टम को नहीं बदल सकती
साथ ही इससे साफ हो गया है कि लोगों की सोच छोटी ही रहेगी चाहे कितना भी बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ की बात करें क्योंकि सरकार तक ने उस बच्ची का हाल नहीं जाना कि किसा हाल में जी रही है और उसका भविष्य का क्या होगा. सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकि अंदर के सिस्टम को नहीं बदल सकती.
दीपिका रावत