देहरादून- अलग राज्य बनने के बाद देहरादून में उच्च शिक्षा देने का दावा करने वाले कई निजी संस्थान खुले। उनमें कईयों पर सरकार की मेहरबानी हुई और आज वे संस्थान कॉेलेज से राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय बन गए। उन्ही में से एक है देहरादून का GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय।
देहरादून के क्लेमंटाउन इलाके में विकसित ये विश्वविद्यालय जब से खुला है तब से सुर्खियां बटोर रहा है। आलम ये है कि अब तंज कसने वाले कहने लगे हैं कि GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय है या मनचलों का अड्डा। हालांकि कहने वाले जो भी कहें लेकिन मनचले ने विश्वविद्यालय को अपनी हरकतों से शर्मिंदा होने पर मजबूर कर दिया है।
दरअसल बीते रोज सोशल मीडिया में GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय से एक एसी तस्वीर वायरल हुई है। हालांकि वायल तस्वीर की सच्चाई की khabaruttarakhand.com कोई पुष्टि नहीं करता, लेकिन अगर तस्वीर सच है तो ये विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता पर कई गंभीर सवाल खड़ा करता है। जिससे उन अभिभावकों के माथे पर शिकन की लकीरें उभरना लाजमी हैं जिन्होंने अपने बच्चे के सुनहरे भविष्य के लिए भारी-भरकम फीस चुकाई है। विश्वविद्यालय के भीतर ये हरकतें अभिभावकों के लिए चिंता की बात तो है हीं।
बहरहाल थाने में दर्ज मुकदमे के मुताबिक यहां तालीम हासिल करने वाली एक छात्रा के परिजनों ने संस्थान के ही एक छात्र पर उनकी बेटी की फोटो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। तस्वीर में विश्वविद्यालय की स्टूडेंट बस के पीछे एक छात्र किसी छात्रा को फिल्मी तरीके से छात्र चूम रहा है।
हालांकि परिजनो की रिपोर्ट के बाद पुलिस ने युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लेकिन GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय में तालीम हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं का ये कोई पहला तमाशा हो ऐसा नहीं है। आए दिन इस विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं देहरादून की शान पर बट्टा लगाते फिरते हैं।
विश्वविद्यालय के जमने के बाद इलाके में कई रेस्टोरेंट खुले अब आलम ये है कि इलाके के किसी भी रेस्टोरेंट में शरीफ परिवार बैठ नहीं सकता। दरअसल GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं हर जगह समाज को शर्मिंदा करने वाली मुद्रा में बैठे मिलते हैं।
इलाके की बदनामी से खफा लोगों का आरोप है कि GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय को सिर्फ अपनी मोटी फीस से मतलब है,अनुशासन से कोई लेना देना नहीं। विश्वविद्यालय को कोई मतलब नहीं कि उसके यहां एडमिशन लेने वाले छात्र-छात्राएं पढाई कर रहे हैं या अश्लीलता फैलानें की तालीम ले रहे हैं, या फिर नशे में उस्ताद बनने की डिग्री लेने दूर-दूर से आए हैं।
आपको बता दें कि बीते वक्त में एक तेज तर्रार महिला पुलिस अधिकारी ने नशे के खिलाफ अभियान चलाते हुए जब GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय के इलाके में सर्च अभियान चलाया तो GRAPHIC ERA में तालीम लेने वाले स्टूडेंट्स के कमरों से खूब शराब की बोतले और मादक पदार्थ बरामद हुए थे। आज भी इलाके की तस्वीर ये है कि पुलिस को आए दिन इस इलाके से नशे का सामान बरामद होता है। नशे के सौदागर मय माल सहित धरे जाते हैं।
ऐसी हरकतों से जाहिर है कि सवाल उठेगा ही कि GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय है या मनचलों का अड्डा। सवाल ये भी है कि GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय को अभिभावकों से सिर्फ मोटी फीस ही वसूलनी चाहिए या उम्र के उस पड़ाव पर खड़े बच्चों पर पैनी नजर भी रखनी चाहिए जिनको जवानी न केवल हसीन लगती है बल्कि इस बात का भ्रम भी रहता है कि वे जिस रास्ते पर चल रहे हैं सिर्फ वही सही है बाकि सब गलत। तय है कि अगर GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय ने अपना ढर्रा नहीं बदला तो ऐसी हरकतो से उकता कर बहुत जल्द अभिभावक GRAPHIC ERA नाम से ही तौबा कर लेंगे।
उम्मीद है कि GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय इससे सबक लेगा और मोटी फीस के साथ साथ उस जरूरी अनुशासन को बनाएगा जो न केवल समाज के लिए जरूरी है बल्कि उन अभिभावकों के विश्वास को भी कायम रखेगा जो अपने बच्चे के कामयाब भविष्य के खातिर ही उसे मोटी फीस के साथ GRAPHIC ERA विश्वविद्यालय के भंरोसे छोड़ते हैं।