देहरादून। टिहरी जिले के कोट गांव में 26 अप्रैल को शादी समहारोह में दलित युवक की मौत के मामले को उत्तराखं ड अनुसूचित जाति आयोग ने गंभीरता से लेते हुए टिहरी जिले एसएसपी योगेंद्र रावत को पत्र भेजकर पूरे मामले की जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.
टिहरी एसएसपी को आयोग की दो टूक
आयोग ने एसएसपी को सख्त लहजे में एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट आयोग को भेजने की बात अपने पत्र में कही…आयोग ने साथ ही कहा कि यदि जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में आयोग को नहीं भेजी गई तो आयोग अनुसूचित जति आयोग अधिनियम 2003 की धारा 12 (क) में दिए गए अधिकारों का प्रयोग करते हुए एसएसपी को आयोग के समक्ष तलब कर पूरे मामले की विवेचना करेगा। साथ ही आयोग ने कहा कि आयोग के आदेशों की अवहेलना करना भारतीय दण्ड संहिता के प्राविधानों के अंतर्गत दण्डनीय है। कुल मिलकार देखे तो जो पत्र आयोग ने एसएसपी को भेजा है उसमें लिखे शब्दों के मायिने टिहरी एसएसपी भली भांती जानते है कि आयोग किस तरह की जांच रिपोर्ट की मांग उनसे कर रहा है।
पुलिस पर सवाल, बयान के मायने पर भी सवाल
कोट गांव में 26 अप्रैल को शादी में दलित युवक की पिटाई के बाद 9 दिन बाद युवक ने देहरादून में इलहाज के दौरान दम तोड़ा था,जिसके बाद पूरा मामला उजागर हुआ था,यहां तक कि पुलिस ने मुकदमा भी मौत के बाद दर्ज किय,जिससे मामले में पुलिस का ढुलमुल रवैया भी पूरे मामले को लेकर देखा गया है,मामले में जब पुलिस पर सवाल उठने लगे तो टिहरी एसएसपी ने एसओ कैैम्पटी और नैनबाग के चैकी इंचार्ज को लाईन हाजिर कर दिया। लेकिन कुछ लोग टिहरी एसएसपी के उस बायना के मायिने भी अभी तक नहीं समझे है जिसमें उनहोने मौत के बाद पहला बयान यह दिया था कि दलित युवक को मिर्गी की बिमारी थी और युवक ने ज्यादा मिर्गी की गोलियां खा रखी थी..
पुलिस की कार्यप्रणाली पर खड़े हुए सवाल
ऐसे में सवाल ये उठता है कि पुलिस के जिस तरह के बयान सामने आए और जिस तरह मुकदर्मा दर्ज करने में कई दिन पुलिस को लग गए उससे पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं,लेकिन देखना यही होगा कि जब पुलिस अब पूरे मामले की जांच कर रही है और अनुसूचित जाति आयोग ने 7 दिन में जांच रिपोर्ट भेजने को कहा है तो जांच रिपोर्ट में क्या कुछ तथ्य निकल कर सामने आते हैं।