देहरादून। उत्तराखंड में नमामि गंगे परियोजना के तहत हुए कामों में हुए घोटाले की खबरों के बाद अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन में भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरन्स की नीति को कठोरता से लागू किया जाय । सरकारी काम काज में पारदर्शिता और ईमानदारी का पालन किया जाय और लोगों को भी महसूस होना चाहिए कि इस सरकार में भ्रष्ट आचरण के लिए कोई जगह नहीं है । प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को डीएफ़ओ टिहरी वन प्रभाग का स्पष्टीकरण प्राप्त कर मामले की जाँच के निर्देश दिए गए हैं।
आपको बता दें कि 85 लाख के इस घोटाले की खबर मीडिया में आने के बाद राज्य सरकार के कान खडे हुए। ये खेल टिहरी बांध वन प्रभाग में टिहरी बांध क्षेत्र में सुरक्षा दिवार बनाने में हुआ है। केंद्र सरकार ने वन विभाग को 85 लाख रुपए रुपए का भुगतान बांध की सुरक्षा दिवार बनाने वालों को करने के लिए दिया। लेकिन ये पैसे काम करने वालों को मिले ही नहीं। इसके बाद सांदणा गांव की महिलाओं ने सरपंच से गुहार लगाई। सरपंच ने आरटीआई लगाकर पूछा कि पैसे किसको दिए गए। वन विभाग की ओर से जो जवाब मिला वो हैरान करने वाला था।
वन विभाग ने 82 लाख रुपए 72 अलग अलग खातों में ट्रांसफर किए थे। इनमें से ढाई दर्जन ऐसे खाते मिले जिन्होंने प्रोजेक्ट में काम ही नहीं किया था। ये जानकारी सामने आने के बाद हडकंप मच गया। वन विभाग के अधिकारियों की मिलिभगत से ये पैसे ऐसे लोगों को भेज दिए गए थे जो काम करने वालों में शामिल थे ही नहीं। फिलहाल मीडिया रिपोर्टस के सामने आने के बाद अब सरकार और विभाग के अधिकारी जांच का हवाला दे रहें हैं।